बोलो मोदी .बोलो संघियों .बोलो रमण अब क्या करोगे.बस्तर में नक्सलियों ने चुपके से जनता की सरकार और अदालत को कानूनी रूप से अमली जामा पहना दिया .बस्तर में कांग्रेसियों के संहार की कहानी लीपा पोती में चली गयी .छत्तीस गढ़ बनाने के बाद पहले चुनाव में बाजपेई की केंद्र सरकार ने क्सलियों से साठ गांठ के लिए अपना मंत्री भेजा था और बस्तर ने यहाँ भाजपा को एकतरफा सपोर्ट किया था.तब से आज तक बस्तर में नक्सलियों का ही राज है किसी की हिम्मत नही वहां घुसने की .रमण बांसुरी बजा राहे हैं और केन्द्रीय सहायता का उपभोग कर रहे हैं .जो जाता है .मारा जाता है .
अभी पंचायत चुनावों में बस्तर में नक्सलियों ने २०० प्रत्यासी खड़े किये और सभी निर्विरोध जीत गए .रमण की सरकार कलेक्टर चैन से देखते रही .अब बस्तर क्षेत्र का ग्रामिद शासन नक्सलियों के जनताना सरकार के हाथ है .ग्राम सभाएं अब जन अदालत में तब्दील होंगी .सरकारी फंड और पूरा सिस्टम नक्सलियों ने कब्जे में लिए ...इसे बस्तर की भाषा में नक्सली ...मावा नाटे ,मावा राज ,मावा क़ानून अर्थात हमारा गाँव ,हमारा राज ,हमारा क़ानून कहते हैं .जनता की सरकार की कल्पना का नया प्रयोग शुरू हो गया है . मजे की बात यह सब हो गया .रमण की सरकार देखती रही .मोदी वोबमा को नोऊ लाखा सूट दिखाते रहे गृहमंत्री राज नाथ धीरे रे चलो मोरी बांकी हिरनिया की तर्ज पर दौरा करते रहे .संघी राष्ट्र बाद देश को कहाँ ले जा रहा है ...इस्सी आधार पर राज्यपाल को चाहिए की रमण सरकार से जबाब तलब करे और बर्खास्त करे .प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए .
जागो छत्तीसगढ़ियों जागो ....कब जागो गे