Friday, 30 May 2014

anhad - vani: भोर हो गई

anhad - vani: भोर हो गई: भोर हो गई अस्ताचल में सूरज छिपा ही था कि कि शुक्र तारे कि बिंदी लगाये उतर गई संध्या मेरे अगन में पसर गई पूरे घर में चुपके से व...

No comments:

Post a Comment