एक जहरीला सांप था ,सांप की तरह स्वभाविक आचरण करता था ,जैसे जैसे उसकी उम्र बढ़ी उसकी ख्याति कटखने जहरीले सांप के रूप में बढ़ी .जिस क्षेत्र में वह रहता लोग सावधान रहते .वह जिसे काट लेता वह मर जाता .एक दिन अचानक इस जहरीले सांप की याददास्त लौटी और इसे पता चला की वह पूर्व जन्म में आदमी था पर दुष्कर्म करता था
इस लिए इस जन्म में सांप होगया .उसके मन में आया की अगला जन्म सुधर लिया जाय .वह एक महात्मा के पास गया अपनी कहानी सुना कर अगले जन्म को सुधारने की इक्षा जताई .महात्मा ने डरते हुए दूर से ही कह दिया सत्संग करो राम कथा सुनो .अब वह सांप भगवान् की कथा का प्रेमी हो गया जहां कथा होती राम चर्चा होती वहां पहुँच जता .पर जहरीले सांप को देख कर लोग भाग जाते .सांप को बोलना तो आता नहीं था वह दौड़ा कर जिसे मुह से पकड़ता वह मर जाता .अब वह पागल सांप की तरह जाना जाने लगा .सांप फिर महात्मा के पास गया और अपनी कथा बतायी .महात्मा ने कहा तुम काटना छोड़ दो .
अब उसने कटना छोड़ दिया .पहले तो लोग डरते रहे फिर .समझ गए की यह काटता नही .तो बच्चे उसकी पूंछ पकड़ कर घसीटने लगे .उसकी दुर्गति करते पर वह नहीं कटता .एइसे ही एक दिन बच्चों ने उसे अधमरा कर दिया .घायल सांप ने देखा की वहीं से वह महात्मा जी जा रहे हैं उसने उन्हें रोक कर आप बीती सुनाई .महात्मा ने कहा ..भाई मैंने काटने को मना किया था फुफकारने और डर्वाने को नही मना किया था .अब सांप समझ गया वह फुफकारने लगा जादा क्रोध होने पर काट भी देता ..अब वह फिर धीरे से वाही होने लगा जो था ...यह कथा मात्र कथा है इसे किसी व्यक्ति से जोड़कर मत देखिये गा सांप मनुष्य नहीं हो सकता
इस लिए इस जन्म में सांप होगया .उसके मन में आया की अगला जन्म सुधर लिया जाय .वह एक महात्मा के पास गया अपनी कहानी सुना कर अगले जन्म को सुधारने की इक्षा जताई .महात्मा ने डरते हुए दूर से ही कह दिया सत्संग करो राम कथा सुनो .अब वह सांप भगवान् की कथा का प्रेमी हो गया जहां कथा होती राम चर्चा होती वहां पहुँच जता .पर जहरीले सांप को देख कर लोग भाग जाते .सांप को बोलना तो आता नहीं था वह दौड़ा कर जिसे मुह से पकड़ता वह मर जाता .अब वह पागल सांप की तरह जाना जाने लगा .सांप फिर महात्मा के पास गया और अपनी कथा बतायी .महात्मा ने कहा तुम काटना छोड़ दो .
अब उसने कटना छोड़ दिया .पहले तो लोग डरते रहे फिर .समझ गए की यह काटता नही .तो बच्चे उसकी पूंछ पकड़ कर घसीटने लगे .उसकी दुर्गति करते पर वह नहीं कटता .एइसे ही एक दिन बच्चों ने उसे अधमरा कर दिया .घायल सांप ने देखा की वहीं से वह महात्मा जी जा रहे हैं उसने उन्हें रोक कर आप बीती सुनाई .महात्मा ने कहा ..भाई मैंने काटने को मना किया था फुफकारने और डर्वाने को नही मना किया था .अब सांप समझ गया वह फुफकारने लगा जादा क्रोध होने पर काट भी देता ..अब वह फिर धीरे से वाही होने लगा जो था ...यह कथा मात्र कथा है इसे किसी व्यक्ति से जोड़कर मत देखिये गा सांप मनुष्य नहीं हो सकता
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