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आइये आज फिर कुछ चुराते हैं इतिहास से.... अली अल हादी अ स (८२७ ई - ८६८ ई ) ने अपने एक साथी को बुलाया और कहा बंदरगाह पर जाओ और इस वक़्त एक नाव आकर बंदरगाह पर रुकेगी , जिसमे ग़ुलाम और कनीज़े भर कर लाये गए होंगे बेचने के लिए. उसमें से तुम्हे बहुत ही हसीन और शाही सौन्दर्य वाली लड़की दिखेगी जिसे तुम देखते ही समझ जाओगे की मैंने इसी के बारे में कहा होगा. यह ख़त उस लड़की को देना और उसे खरीद लाना. साथी बंदरगाह पर गया और ठीक वैसा ही कुछ घटित हुआ जैसा की बताया गया था. साथी बहुत आश्चर्य चकित था और पहेली समझ नहीं प् रहा था. रास्ते में बात करते समय उस लड़की ने बताया की वोह महान जुलियस सीज़र की पौत्री है और जुलियस सीज़र के पतन के पश्चात भागते हुए पकड़ ली गयी और घुलाम समझ कर बिकने के लिए बग़दाद भेज दी गयी. साथी ने पूछा की वोह उसके साथ चलने को क्यों तैयार हो गयी और उस पत्र में क्या लिखा था? लड़की ने बताया कि वोह बचपन से यह सपने में देखती आरही थी की उसका विवाह उस शख्स के बेटे के साथ होना है जिसकी मुहर उस पत्र पर लगी है. जब जुलियस सीज़र ने उसकी मर्जी के विरूद्ध उसका विवाह एक यहूदी राजकुमार से करना चाहा तो भूकंप आया और शाही तख़्त गिर गया. जिसे अपशगुन मान कर विवाह रोक दिया गया. इस यहूदी लड़की का नाम नरगिस था जिससे अली अल हादी (अली नक़ी )अ ० स ० ने अपने बेटे हसन असकरी अ० स० का निकाह कराया. और उनसे एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया अल मेहदी.(२९ जुलाई ८६९ ई ) शिया मत के अनुसार इनके कुल १२ इमाम हुए जिसमे अली अल हादी (अली नक़ी )अ ० स ० दसवे इमाम , हसन असकरी अ० स० ग्यारहवे इमाम और अल मेहदी अ० स० १२ वे और अंतिम इमाम इमाम हुए. बनी उमय्या और बनी अब्बासी काल में पहले के ११ इमामो की तरह ही अल मेहदी अ० स० को भी मारने की शासन ने पूरी कोशिश की. एक दिन मस्जिद में नमाज़ पढने के दौरान सेना ने मस्जिद को घेर लिया और इनका वध करने के लिए इनके बहार आने का इंतज़ार करते रहे. जब सुबह हो गयी और यह बाहर नहीं आये तब सेना अन्दर गयी और यह कहीं नहीं मिले.(९४१ ईस्वी) तबसे शिया समुदाय का यह मानना है की अल मेहदी जिंदा हैं और अदृश्य हो गए जीसस क्राइस्ट की ही भाँती और क़यामत के दिन जालिमो का नाश करने दोबारा प्रकट होंगे. आज की रात शियों के १२वे इमाम अल मेहदी के जन्म की रात है. मुहम्मद साहब के समय से ही इस रात को बहुत मुबारक बताया गया है और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगने के लिए एक बेहतर रात बताया गया है. आज मुस्लिम समुदाय( शिया सुन्नी और भी सभी समुदाय ) अपने मृत परिजनों को भी याद करता है और सारी रात मस्जिदों में कुरान पढ़ा जाता है. कई जगहों पर आतिशबाजियां जला कर भी यह शबे बरात का उत्सव मनाया जाता है......
आइये आज फिर कुछ चुराते हैं इतिहास से.... अली अल हादी अ स (८२७ ई - ८६८ ई ) ने अपने एक साथी को बुलाया और कहा बंदरगाह पर जाओ और इस वक़्त एक नाव आकर बंदरगाह पर रुकेगी , जिसमे ग़ुलाम और कनीज़े भर कर लाये गए होंगे बेचने के लिए. उसमें से तुम्हे बहुत ही हसीन और शाही सौन्दर्य वाली लड़की दिखेगी जिसे तुम देखते ही समझ जाओगे की मैंने इसी के बारे में कहा होगा. यह ख़त उस लड़की को देना और उसे खरीद लाना. साथी बंदरगाह पर गया और ठीक वैसा ही कुछ घटित हुआ जैसा की बताया गया था. साथी बहुत आश्चर्य चकित था और पहेली समझ नहीं प् रहा था. रास्ते में बात करते समय उस लड़की ने बताया की वोह महान जुलियस सीज़र की पौत्री है और जुलियस सीज़र के पतन के पश्चात भागते हुए पकड़ ली गयी और घुलाम समझ कर बिकने के लिए बग़दाद भेज दी गयी. साथी ने पूछा की वोह उसके साथ चलने को क्यों तैयार हो गयी और उस पत्र में क्या लिखा था? लड़की ने बताया कि वोह बचपन से यह सपने में देखती आरही थी की उसका विवाह उस शख्स के बेटे के साथ होना है जिसकी मुहर उस पत्र पर लगी है. जब जुलियस सीज़र ने उसकी मर्जी के विरूद्ध उसका विवाह एक यहूदी राजकुमार से करना चाहा तो भूकंप आया और शाही तख़्त गिर गया. जिसे अपशगुन मान कर विवाह रोक दिया गया. इस यहूदी लड़की का नाम नरगिस था जिससे अली अल हादी (अली नक़ी )अ ० स ० ने अपने बेटे हसन असकरी अ० स० का निकाह कराया. और उनसे एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम रखा गया अल मेहदी.(२९ जुलाई ८६९ ई ) शिया मत के अनुसार इनके कुल १२ इमाम हुए जिसमे अली अल हादी (अली नक़ी )अ ० स ० दसवे इमाम , हसन असकरी अ० स० ग्यारहवे इमाम और अल मेहदी अ० स० १२ वे और अंतिम इमाम इमाम हुए. बनी उमय्या और बनी अब्बासी काल में पहले के ११ इमामो की तरह ही अल मेहदी अ० स० को भी मारने की शासन ने पूरी कोशिश की. एक दिन मस्जिद में नमाज़ पढने के दौरान सेना ने मस्जिद को घेर लिया और इनका वध करने के लिए इनके बहार आने का इंतज़ार करते रहे. जब सुबह हो गयी और यह बाहर नहीं आये तब सेना अन्दर गयी और यह कहीं नहीं मिले.(९४१ ईस्वी) तबसे शिया समुदाय का यह मानना है की अल मेहदी जिंदा हैं और अदृश्य हो गए जीसस क्राइस्ट की ही भाँती और क़यामत के दिन जालिमो का नाश करने दोबारा प्रकट होंगे. आज की रात शियों के १२वे इमाम अल मेहदी के जन्म की रात है. मुहम्मद साहब के समय से ही इस रात को बहुत मुबारक बताया गया है और अपने गुनाहों की माफ़ी मांगने के लिए एक बेहतर रात बताया गया है. आज मुस्लिम समुदाय( शिया सुन्नी और भी सभी समुदाय ) अपने मृत परिजनों को भी याद करता है और सारी रात मस्जिदों में कुरान पढ़ा जाता है. कई जगहों पर आतिशबाजियां जला कर भी यह शबे बरात का उत्सव मनाया जाता है......
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