Friday, 30 May 2014

anhad - vani: दिन बेगाने हो जाते हैं

anhad - vani: दिन बेगाने हो जाते हैं: सुबह सबेरे सूरज आता नून तेल के झंझट लाता दिन बेगाने हो जाते हैं / सपनों वाली पहचानी सी गली पुरानी जहाँ खेलते बच्चों का स्वर धमा चौकड़ी ...

anhad - vani: किसी ने सुना ही नहीं.

anhad - vani: किसी ने सुना ही नहीं.: किसी ने सुना ही नहीं. इधर कुछ दिनों से मैंने पत्नी से पानी मागना बंद कर दिया है . कार्यालय आते या जाते समय नहीं करता प्रतीक्षा ...

anhad - vani: भोर हो गई

anhad - vani: भोर हो गई: भोर हो गई अस्ताचल में सूरज छिपा ही था कि कि शुक्र तारे कि बिंदी लगाये उतर गई संध्या मेरे अगन में पसर गई पूरे घर में चुपके से व...

anhad - vani: उठो जागो .स्त्री को मुक्त करो

anhad - vani: उठो जागो .स्त्री को मुक्त करो: भारतीय मानस जिन्हे धर्म ग्रंथ कहता है . मूलतः वे ही अधर्म को तर्क देते हैं ,इन्ही ने हमारे मॅन मस्तिस्क मे स्त्री को भोग्या बना र...

anhad - vani: सलाह नही लेना चाहिए .

anhad - vani: सलाह नही लेना चाहिए .: एक तालाब था ,उसके मेड पर एक नेवले का बिल था ,तालाब के किनारे एक पेड़ था ,पेड़ पर एक बगुला का घोसला था ,तालाब मे मछली और केकड़ा रहते थे ,...