किसी ने सुना ही नहीं.
इधर कुछ दिनों से मैंने
पत्नी से पानी मागना बंद कर दिया है .
इधर कुछ दिनों से मैंने
पत्नी से पानी मागना बंद कर दिया है .
कार्यालय आते या जाते समय नहीं करता
प्रतीक्षा की वह गेट तक आयेंगी .
मुझमे बहुत कुछ बदल गया है
जरूरत के हिसाब से अपना कं खुद करलेता हूँ .
खोज लेता हूँ अपने जूते और मोज़े ,
भूख लगने पर टेबल से
ब्रेकफास्ट ,लंच ,या डिनर खुद ले लेता हूँ .
नेह से भोजन कराने की कला
मेरी पत्नी भूल चुकी हैं .
कभी यही सब कुछ करना उन्हें
सौभाग्य का प्रतीक लगता था .
परन्तु अब यह सब कुछ शोषण लगता है
अच्छी भली और प्रसन्न रहने वाली
खिल- खिला कर हसने वाली मेरी पत्नी
अब कुंठित और रुग्न तथा गुमसुम रहने लगी है .
बड़ी होती बिटिया गुर्राने लगी है
इसलिए पूंछना छोड़ दिया
कहाँ गई थी कहाँ जा रही हो .
वह अचानक दक्ष हो गई है
कुछ भी पूछो तो पुरुष का हस्तक्षेप समझती है .
उसने माँ को भी सिखादिया है
आधुनिक नारी के अधिकार .
अहम् बात यह है की मै चुप रहने की कोशिश करता हूँ.
दिन चर्या में फर्क आगया है .
बात यह नहीं की मेरा कद घट गया है
चादर देख कर मै खुद ही सिमट गया हूँ .
मै समझने लगा हूँ की बिना कुछ कहे मर गया
कहा जाना अधिक गवरौशाली है
यह कहे जाने से..कि
कुछ कह रहा था किसी ने सुना ही नहीं.
प्रतीक्षा की वह गेट तक आयेंगी .
मुझमे बहुत कुछ बदल गया है
जरूरत के हिसाब से अपना कं खुद करलेता हूँ .
खोज लेता हूँ अपने जूते और मोज़े ,
भूख लगने पर टेबल से
ब्रेकफास्ट ,लंच ,या डिनर खुद ले लेता हूँ .
नेह से भोजन कराने की कला
मेरी पत्नी भूल चुकी हैं .
कभी यही सब कुछ करना उन्हें
सौभाग्य का प्रतीक लगता था .
परन्तु अब यह सब कुछ शोषण लगता है
अच्छी भली और प्रसन्न रहने वाली
खिल- खिला कर हसने वाली मेरी पत्नी
अब कुंठित और रुग्न तथा गुमसुम रहने लगी है .
बड़ी होती बिटिया गुर्राने लगी है
इसलिए पूंछना छोड़ दिया
कहाँ गई थी कहाँ जा रही हो .
वह अचानक दक्ष हो गई है
कुछ भी पूछो तो पुरुष का हस्तक्षेप समझती है .
उसने माँ को भी सिखादिया है
आधुनिक नारी के अधिकार .
अहम् बात यह है की मै चुप रहने की कोशिश करता हूँ.
दिन चर्या में फर्क आगया है .
बात यह नहीं की मेरा कद घट गया है
चादर देख कर मै खुद ही सिमट गया हूँ .
मै समझने लगा हूँ की बिना कुछ कहे मर गया
कहा जाना अधिक गवरौशाली है
यह कहे जाने से..कि
कुछ कह रहा था किसी ने सुना ही नहीं.
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