देखो !
तुम्हारे पति के पास
एक किसान की विरासत है
उसने अपने पिता की आँखों में
कभी साँझ नहीं देखी
अपनी माँ को कभी हारते नहीं देखा .
ये दिन भी बीत ही जायेंगे
धीरज धरो कुछ भी ठहरा नहीं रहता
न समय , न सुख तो दुःख भी नहीं .
फिर कैसी हताशा ,कैसी निराशा ,
तुम पगली जाने क्यों घबडाती हो
एक रिटायर्ड मेजर जेनरल साहब ने सुनाया था-"सुख ने कहा दुख से जाते-जाते;जब मै न रहा तो तुम भी न रहोगे "।
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