अब्दुल रहीम खान खाना .अकबर के नौ रत्नों में सबसे नायब हीरा ,एक अद्भुत व्यक्ति .इतना बड़ा शूरमा की १६ से ७२ वर्ष की उम्र तक लड़ियाँ लड़ता और जीतता रहा /इतना बड़ा दानी की किसी ने कहा की मैंने एक लाख अशर्फियाँ एक साथ देखी नहीं तोउसे एक लाख अशर्फियाँ दे दी विनम्रता इतनी की देने के बाद भी शर्मिंदा थे ...देते समय उनकी आखे नीचे थीं ,किसी ने आँखे नीचे होने का कारन पूछा तो कहा .
देन हार कोई और है भेजत है दिन रैन
लोग भरम हमपर धरें यातें नीचे नैन ..
सहृदय ऐसे की एक सिपाही की स्त्री के एक बर्वे पर प्रसन्न हो गए ;-
प्रेम प्रीति को बिरवा चलेहु लगाय
सींचनि की सुधि लीजैमुरझी न जांय.
और सिपाही को धन धन्य देकर उसकी नवागत बधू के पास भेज दिया .और इसी चाँद पर एक पूरा ग्रन्थ ही लिख डाला गुण के ग्राहक ऐसे की अरबी/फ़ारसी ,हिन्दी के अनेक रचना कर इनके मित्र थे चरित्रवान इतने की रूपवती के प्रणय निवेदन के कथन ..की मुझे अपने जैसा पुत्र दे दो .पर अपना सर उसकी गोद में डाल दिया ..माँ कहकर .तुलसी के मित्र थे .अकबर के विस्वाश पात्र थे .जहाँगीर और शाहजहाँ के द्वन्द में इस कदर फंसे की पिस गए .जेल में डाल दिए गए उनके पुत्र दरब खान का सर काट कर उनके पास भेज दिया गया .उनके पूरे परिवार को जालिमो ने मारदिया फिर भी स्वाभि मान नहीं छोड़ा ...
रहिमन मोहि न सुहाय अमिय पियावै मान बिन
.बरु विष देई बुलाय मान सहित मरिबो भलो .
और प्रेमी इतने गहरे की ..
अंतर दाव लगी रहे धुंवा न प्रगट सोय
कई जिय जाने आपनो या सर बीती होय ..
जे सुलगे ते बुझी गए बुझे ते सुलगे नाहि
रहिमन दाहे प्रेम के बुझी बुझी के सुल गहि ..भक्त ऐसे की कृष्ण माय हो गए कवियों ने लिखा कोटिन हिन्दू वारिये मुस्लमान हरी जनन पर ,कुल मिला कर एक ऐसा व्यक्तित्व
जिसे पढ़ कर आप पूरी एक कौम के बारे में अपनी जन करी को अधूरी मानाने पर विवास होंगे ...हम क्रमशः लिखेंगे ..रोज रात को आप सुबह या फिर रूचि हो तो रात में ही इसी समय पढ़ सकते हैं ..नहीं पढ़े तो चूक जायेंगे ...आज इतना ही ...कैसा लगा बताइए गा ..
आज की पीढ़ी के ज्ञान वर्द्धन हेतु यह श्रंखला बहुत अच्छी है।
ReplyDelete