जीवन इतना कठिन है और कठिन क्यों करना
जो कुछ दिया विधाता ने उस में ही खुश रहना
तेरे भाग्य में जो भी होगा तय है उसका मिलाना
किसी और की चुपड़ी रोटी से फिर क्यों जलना
चार दिनों का यह मेला है लेना नहीं झमेला
हंसी ख़ुशी से सबसे मिल कर खेल जाओ यह खेला
याद रखेगी तुमको दुनिया जब तुम हंस कर जाओगे
भाई बन्धु और कुटुंब कबीला दोस्त मित्र हरसाओगे
No comments:
Post a Comment