महात्मा तुलसीदास के रामचरित मानस से हर क्षण हमें सलाह मिलती है ......
मानस की पंक्ति .. विप्र सचिव गुरु बैद्य जो प्रिय बोलहिं भय आस ,राज धर्म तन तीन कर होंहि बगही नाश / अगर ,आप का पुरोहित, सलाहकार ,गुरु और वैद्य ,सच बोलने की जगह चापलूसी में या डर में ठाकुर सोहती बतियाते हैं तो समझ ले कि राज्य का धर्म का ,शरीर का नाश होने वाला है /इसी का निष्कर्ष है ....उघरे अंत न होंहि निबाहू ,काल नेमि जिमि रावन राहू /केंद्रीय सत्ता के साथ यही हो रहा है
मानस की पंक्ति .. विप्र सचिव गुरु बैद्य जो प्रिय बोलहिं भय आस ,राज धर्म तन तीन कर होंहि बगही नाश / अगर ,आप का पुरोहित, सलाहकार ,गुरु और वैद्य ,सच बोलने की जगह चापलूसी में या डर में ठाकुर सोहती बतियाते हैं तो समझ ले कि राज्य का धर्म का ,शरीर का नाश होने वाला है /इसी का निष्कर्ष है ....उघरे अंत न होंहि निबाहू ,काल नेमि जिमि रावन राहू /केंद्रीय सत्ता के साथ यही हो रहा है
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