महाभारत काल में है हम
भारतीय समाज के नियंता महाभारत काल में पहुँच गए है जहाँ सबके सब आधे- अधूरे , पाखंडी ,अपनी .अपनी कुंठा में गले तक डूबे भीतर से घाघ ,बुनावट से कांईयां
सत्ता लोलुप, सोच से बीमार हैं /इनका कमान प्रोग्राम है /अपने दंभ में अंधे इनको देश कंही दिखता ही नहीं,हमने चमगादड़ को देखा हैउलता लटके उसी मुंह से खाते उसी मुंह से उगलते ,हने सियार को रंग बदलते देखा है ,पर बात बदलने और चरित्र की ब्याख्या करने में हमारे नियंता सभी को मत दे रहे है /सत्याव्तार हजारे ,रामदेव और बिपक्ष तीनो ने रंग बदलने का मुहाबरा छोटा कर दिया ,थोड़े से पांडव एक दो कृष्ण नहीं पूरी
दुनिया मिलकर /कुछ नहीं कर सकते ,देश को हलाल कर दिया ,अब तो भगवन ही मालिक है हजारे खुद को उनसे भी बड़ा कहेगा तीन बडबोले नाटक के साथ
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