गायत्री मन्त्र ; ओंउम भूर्भुवः स्व;
तत्सवितुर्वारेन्यम भर्गो देवस्य धीमहि
धियो यो न; प्रचोदयात
अर्थ - सत चित आनंद जगतोत्पादक दिव्य गुणयुक्त
ईश्वर के उस ग्रहण करने वालेशुद्ध स्वरूप को हम धारण करें
जो हमारी बुद्धियों को प्रेरित करे
मन्त्र ; ओं नम; शम्भवाय च, मयोभवाय च
नम;शंकराय च, मयस्कराय च
नम;शिवाय च, शिवतराय च
अर्थ उस आनंद मय,आनंद स्वरूप कल्याणकारी सुखदाता
मंगल स्वरूप अत्यंत आनद दाता को नमस्कार
the gayatri mantr is th supreme mantra of vedas ,it is a powerful invocation of surya ,the sun
it is said as there is no city to equal kashi there is no invocation to equalthe gayatri.
traslation--Osplendid and playful sun we offer this prayer to thee.Enlighten thiscraving mind
be our protectoe /May the divine rular guide our destiny .Wise mensalute your magnificence with
obligations and wordsof praise
shantipathh nex day contd...
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