अब जाड़े ने रंग दिखाया ठंढी ठंढी हवा भी लाया
जलने लगे अलाव घरों में बच्चे बूढों को मन भाया /
घेर घेर कर सब अलाव को बैठें घुसुरो मुसुरो
बात बात में बात निकलती सब है खासे खुसरो /
राजनीति की चर्चा निकली ,फिर चुनाव की बात
ज्यों केले के पात पात में पात पात में पात /
बात बात में बतबढ़ हो गई भिड़ गए रमई शंकर
बिना बात के हुई लड़ाई झगडा हुआ भयंकर /
दादा ने फिर डांट डपट कर दोनों को समझाया
छोटे बच्चों ने हंस हंस कर आनंद बहुत उठाया /
मौसम है आलू गन्ने का भून के आलू खाओ
गन्ना चूसो घूम घूम कर सब आनंद उठाओ
जलने लगे अलाव घरों में बच्चे बूढों को मन भाया /
घेर घेर कर सब अलाव को बैठें घुसुरो मुसुरो
बात बात में बात निकलती सब है खासे खुसरो /
राजनीति की चर्चा निकली ,फिर चुनाव की बात
ज्यों केले के पात पात में पात पात में पात /
बात बात में बतबढ़ हो गई भिड़ गए रमई शंकर
बिना बात के हुई लड़ाई झगडा हुआ भयंकर /
दादा ने फिर डांट डपट कर दोनों को समझाया
छोटे बच्चों ने हंस हंस कर आनंद बहुत उठाया /
मौसम है आलू गन्ने का भून के आलू खाओ
गन्ना चूसो घूम घूम कर सब आनंद उठाओ
lovely poem
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