- जाति, भाषा, क्षेत्र, धर्म, लाभ, हानि ,पद, नौकरी,लिंग भेद,गरीब अमीर /शोषक, दलित ,अगड़े पिछड़े /फिर उसमे भी पिछड़ी उच्च जाति ,अल्प संख्यक/ उसमे भी तीन के ,तेरह के... /किस किस पर बंहस करेंगे मित्र /हमारे देश का सामाजिक नियमन एक दूसरे से जुड़ा है /यह न तो अंगूर का गुच्छा रह गया /न ही फूलों का गुलदस्ता /इसे यों समझें की यह एक अनार है /अनार के दाने एक तासीर के हैं ,एक रूप के, एक रंग के हैं ,एक रस के ,किन्तु ये दाने हैं ,ये जिस खोल में बंद है ,उसके भीतर दानो को संयोजित करने की कोई लकीर नहीं होती / बहुत जटिल है यह संयोजन /उतना ही जटिल हमारे देश का सामाजिक निय मन /अनार को चाहे जन्हा से काटो कोई न कोई दाना कटे गा /रस चुयेगा /दाने गुम्फित हैं ,गुत्थम गुत्था हैं /उनका अलग आकार हो जाता है खोल से बहार आकर /उनकी अलग पर्सनालिटी हो जाती है /वे हमारी तरह जीव नहीं पर सोचें अगर वे बोल सकते तो/इसी प्रकार जब हम किसी एक पर चर्चा करते हैं तो दूसरा परेशान होने लगता है /अब हम हकीम लुकमान तो है नहीं /और लाल बुझक्कड़ की तरह हर जगह हिरन दौड़ाने से कुछ नहीं होता /जय हो ...फील गुड ...मूंदहु आंख कतहु कछु नहीं ....जय श्री राम ..जय
No comments:
Post a Comment