Saturday 31 October 2015

पानीदार कथाएं................


दिन में लंघन रात चबेना
भूख खरहटा मारे
दुःख की खरही आस दंवगरा
सुख की धूप निहारे /
संकल्पों की दंवरी नाधे
मन बंजारा आकुल
फांक समय की चख पाने को
चाह अधूरी ब्याकुल /
रच रच जोते खेत करमवा
पाटा मारे भाग
हर पल अंटकी आस बिखरती
दर्द विवाई जाग/
जांता पीसे साँझ जवानी
ढेंकी कूटे रात
बोरसी सुलगे मनोकामना
गोंइठा तापे प्रात /
थक्का थक्का जमी दुपहरी
करवट आधी रात
खैलार दही बिलोये रच रच
मट्ठाआये हाँथ /
चुटकी चुटकी इक्षा बीने
आँचर कोइंछा  पूजे 
फिर फिर जरै ताजी नहि बारू
आग भभुक्का भूंजे /
फुनगी फुनगी चना खोंटती
चढी अगहनी धूप
कांवर कांवर दुरदिन ढोए
पईया  फटके सूप /
रंदा मारे समय पीठ पर
खुरपी छीले घास
 मुल मुल माटी चढ़ी चाक पर
फिर अषाढ़ की आस /
काल दरेंती करवत काटे
बनियाँ मांगे सूद
पीली अरहर खिली खेत में
 गए बटेरे कूद /
टूटी खाट पट टूटे
पिय की बांह उसास
घूरे के भी दिन फिरते हैं
यही लोक विश्वास /
खपरैले पर बोला कागा
ठूठ कुहुँकती कोयल
मन वृन्दावन तुलसी चन्दन
पतझड फूटे कोंपल /
आँखे खोले उषा  सुनहली
कुंवा में लगी आग
कीचड पानी सब जर गए
मेंढक त्तापे आग /
थिगाडा थिगाडा जोड़ जिन्दगी
सुजनी एक बनाये
पथराई  आँखों से कहते
 पानीदार कथाएं/