Monday 7 November 2016

खोता सिक्का जब चल जाता है तब सही सिक्के चलन से बाहर हो जाते हैं

कई बार प्रयोग में खोटा सिक्का चल निकलता है ,एक बार चल निकला तो कुछ दिनों तक अपना सिक्का भी जमा लेता है.सही सिक्के चलन से बाहर हो जाते हैं . कुछ ऐसा ही अंनहोनी होगई हमारे नगर में .भाजपा के तथा कथित पितामह लखीराम जो खरसिया से नगरपालिका का भी चुनाव नहीं जीत सके उन्हों ने अपने पुत्र को बिलासपुर से चुनाव मैदान में उतार दिया .कांग्रेस की कलह ने उन्हें जीतने दिया .फिर तो दुबारा तिबारा चौ बारा कांग्रेसी कलह पराजित हुई .जीत का सेहरा लखी राम जी के मोहरे के सर बंधा . .फिर तो मंत्री पद मिला शहर के व्यापारी और मंत्री महोदय ......सिक्का चल पडा पर इसमे हमारा शहर बर्बाद हो गया .गुंडई लूट मार संगठित ढंग से चली .हजारों डकैती नगर के एक भाजपाई के संरक्षण में चली जो नगर निगम में ओहदे दार थे .पुलिस ऍफ़ आई आर सब हवा .परिणाम कुछ नहीं होना था यह सब को पता था .उनका रायपुर ट्रांसफर कर दिए ..भूल गया शहर परन्तु .शहर गड्ढा हो गया है जमीने और तालाब भी बिल्डरों के कब्जे में है .छुटभैये राम नामी दुपट्टा ओढ़े कहर ढहा रहे हैं गली गली.गुडाकू शराब देसी अंग्रेजी बिक रही है पीने वाले पी के टुन्न हैं .ट्राफिक व्यवस्था है ही नहीं .शाम को निकलना नरक के दरवाजे पर दस्तक देना है .बेजा कब्जा के कारण सडक ख़तम है बड़े होटल वालों ने बाकायदा सड़क को पार्किंग बना लिया है .जमीने हरियाणा के लालों ने खरीद ली ..और भी बीहुत कुछ .कराहता चरमराया शहर मुक्ति को छटपटा रहा है . हाँ शहर के आसमान पर १० /१२ करोड़ पति उभर गए .भैया की मिलकियत १० गुना हो गयी .एपा प्रोजेक्ट के कई सौ करोड़ कहाँ हैं प्रोजेक्ट कहाँ है ..मत पूछना ..देश द्रोही कहे जाओगे .
हमारे बिलासपुर में "दिल से" बहुत चल रहा है. ....भैया दिल से, .....भाभी दिल से.... एक परचा तो "दिल से" घर में पड़ा है. मुश्किल ये हैं कि पंद्रह साल से भैया डटे हुए हैं और गजब की राजनीति करते हैं. जनता बेहाल है एक रु किलो चाउर और दारु में मस्त है .अब तो गैस साईकिल दल न जाने क्या क्या .. और ठेकेदार, बिल्डर मालामाल हैं. भाभी को चार साल पहले ही मौका मिला, इस दरमियान यह बताने में सारा समय गुजर गया कि शहर की तकदीर संवारने की कवायद फेल क्यों हो गई... उनकी आरटीआई छाप, अदालत छाप संघर्ष के प्रशंसक कुछ जरूर हैं, लेकिन जनता को तो कुछ दिखना था, कभी भी दिखा नहीं. नारा भले ही "दिल से" हो.... मेरे शहर के लोग दिल पर पत्थर रखकर ही अपना विधायक चुनेंगे... यह तय है.अबकी नहीं बदला कुछ तो फिर पञ्च साल में गड्ढा हो जाएगा .इस लिए अभी नहीं तो कभी नहीं ...की चर्चा हर चुनाव में होती है .पर यह जो नया चुनाव का तरीका है घर बैठिये कमाइए वोट अगर भैया को नहीं देना तो वोट देने मत जाइए ..नायब है ..अब तो जोगी जी की पार्टी है समीकरण नए हैं ......बिलासपुर तुम्हे क्या मिला नया राज्य बन्ने से