Tuesday 24 May 2016

मीडिया'.....राहुल और मोदी और प्रधान मंत्री पद

मीडिया के द्वारा बार बार राहुल और मोदी की तुलना और प्रधान मंत्री पद के लिए पसंद ना पसंद की चर्चा सुन कर मैंने एक पोस्ट डाली जिसमे लिखा की मोदी और राहुल की तुलना नहीं की जानी चाहिए .कुछ संघी इतने बौखला गए की गालियाँ बकने लगे एक श्री कृष्ण शर्मा तो चड्डी उतार कर अभद्र हो गया .
सच मानिये मैंने वह पोस्ट सामान्य तौर पर लिख दिया था 'पर आज पूरी तरह संजीदा हूँ .
एक कहावत है की... उड़द और अरहर की क्या तुलना ..किसान जानते हैं की दोनों खरीफ की फसल हैं दोनों एक ही खेत में बोते हैं .पर उड़द घास पात तथा एनी फसलों को रौंद कर उन को दबा कर..चबा जाती है. राहर और अन्य अनाजो को लपेट कर तीन महीने में पक जाता है .काटने में देर हुई तो चिटक जाता है .राहर आठ दस महीने में पकती है .सीधे खडी रहती है .रहर की तासीर सहज है उड़द की बादी . चूँकि दोनों राजनीति में है लिहाजा मोदी उड़द हैं राहुल राहर .मोदी बादी हैं राहुल फायदे मंद .
मोदी का उदय संघ की पीठिका शिक्षा दीक्षा में अस्त्र शास्त्र और नफ़रत ,घृणा हिंदुत्व की घुट्टी पी कर हूवा. और संघ अंग्रेजी साम्रज्य्बाद का पोषक हो कर स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के विरोध हेतुअंग्रजों द्वारा पैदा किया गया ( सन्दर्भ ..गोलवलकर की पुस्तक )महात्मा गाँधी की नियोजित ह्त्या किसने करवाई मैं क्यों कहूँ .सभी को पता है .मोदी .दम्भी अकडू घुटे पीर खुर्राट राजनीतिग्य गुजरात की प्रगति और अवगति के रचयिता .गोधरा जैसे कई संहारों में विवादित .
राहुल .मोतीलाल नेहरू जवाहरलाल. इंदिरा. राजीव के त्याग बलिदान और स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक की कांग्रस की परम्परा का वाहक शांत सौम्य आम आदमी का पैरोकार जागरूक युवा .सपने गढ़ने और उसे जमीनी हकीकत बनाने में तल्लीन बिना पद की लालसा के .भारत के समस्त लोगों के लिए सक्रीय .प्रधान मंत्री पद को त्यागा देने वाली भारतीयता को अंगी कर कर जीने में तल्लीन सोनिया की देख रेख में पला बाधा साधारण सा युवक .विवाद हीन
मोदी दिल्ली पहुँचाने की जल्दी में आडवाणी को धकेल कर आगे जा रहे हैं रहूल दिल्ली में सब कुछ हो कर भी कुछ नहीं चाहते बड़ों का साम्मान करते है .मोदी का मैं दंभ हो गया है राहुल में मैं है ही नहीं ..अब आप ही बताइए दोनों की क्या तुलना .कौन है सही नायक देश का किसे देखना चाहेंगे लोग .कौन जादा अनुकूल है भारतीय संबिधान के ..उत्तर है रहल राहुल राहुल .......

Wednesday 11 May 2016

मैं अपने गाँव लौटूंगा

मैं अपने गाँव लौटूंगा

मेरे गाँव के बीचोबीचपुश्तों से खड़ा बरगद का पेड़अब बूढा हो चला है .
काल के निर्मम थपेड़ों मेंएक एक कर ढहतीं रहींइसकी विशाल भुजाएं
विकलांग श्रद्धा के अभिशाप भोगने को विवश
यह बरगद मूलोच्छेदित हो जाय,
उसके पहलेउसके पांवों में एक बरगद उगाउंगा.
उसकी बांहों में नया संसार बसाऊंगा
जहाँ मेरा लोक फिर से लौट कर बतियाये गा ,
धामा चौकड़ी मचाये गा .गायेगा ,
फगुआ .चैता .आल्हा.कजरी और कन्हरवा .
मेरे आंगन में पुश्तों से खड़ा तुलसी का चौरा
उसमे फिर से लगाऊंगा एक नन्हा पौधा
सींचूँगा अपने संस्कार बोध से
प्रत्येक संध्या कच्ची मिटटी के नन्हे दीपकजलायेगी मेरी सह धर्मिणी .
संझौती लेसेगी मेरी पुत्र बधू
टिमटिमाते दिए की मद्धिम लव में
अँधेरे के शाश्वत सत्ता को पिघलते मैं जी भरके देखूँगा .
अपनी पुस्तैनी देहरी पर माथा झुकऊँ गा
,उस चौखट पर फिर एक बार अपनी नन्ही बिटिया को
ओका बोका तीन तलोका खिलाऊंगा .
देहरी का लालित्य ,
चौखट का मर्म
और चौखट लांघने का अर्थ समझाऊंगा