Monday 11 November 2013

.हमने पढ़ा है .

.हमने पढ़ा है .
दुनिया के सारे मनुष्य केवल 7 जींस से विकसित हुए .मतलब सारी दुनिया मूलतः 7 जोड़े पति पत्नी की औलाद है .
मैंने राधा कुमुद मुखर्जी को बहुत पढ़ा है .
उन्हों ने लिखा है की भारत वर्ष में बिभिन्न जातियों का समिश्रण बहुत संश्लिष्ट है .उन्हों ने यह भी लिखा है की न जाने कितनी जातियां यहाँ आईं और यहीं की होकर रह गयीं आज मूलतः कौन किसकी संतान है पता करना असंभव है .आदमी अधिक से अधिक १० पीढ़ी को जानता है वह भी वैध की पीढी अवैध की धारा समान्तर चलाती रही .इस लिए कोई भी गारंटी से नहीं कह सकता की उनकी २५वीपीढी के पिता या माता किस जाती की थीं
इसकी जरुरत भी नहीं मनुष्य होना सबसे जादा जरुरी है दिक्कत यह है की हम मनुष्य ही नहीं होना चाहते बाकी सब होना चाहते हैं .
मनुष्य के पहचान की दूसरी बात है धर्म. इसका मनुष्य के जींस या पारिवारिक परम्परा से कोई रिश्ता नहीं .इसकी धारा अलग चलती है .जो मनुष्य होने के लिए गैरजरूरी है .
हमारी सांस्क्रतिक विरासत हमारे अगली पहचान है .यही हमारे आचरण की सभ्यता होती है .इसके लिए जाति या धर्म की आवश्यकता नहीं मनुष्य होना काफी है .केरल में आज भी इसका उदाहरण है .
मनुष्य की मनुष्यता का पहला और आख़िरी चरित्रगत आचरण है जियो और जीने दो .,सहिष्णुता .किसी को पीड़ा न देना .सबके कल्याण की बात सोचना ..ऐसे में जब कोई धर्म की विचार की कट्टारता लेकर सामजिक विखंडन की बात करे तो वह मनुष्य नहीं .आज भगवान बन कर या शैतान बन कर जीने का मजा उठाने वालों की कमी नहीं .हमें हमारे देश और समाज को बचाना है तो अब जादा सावधान होना होगा .सोचिये .और मुझे भी समझाइये ..कोई बात गलत हो तो .

Saturday 9 November 2013

.भारत सभी का है .यहाँ सभी को जीने का अधिकार है पूरी स्वतंत्रता से .

देश अराजक हो गया है .हर कोई दूसरे को दोष दे रहा है खुद के गिरहबान में झांकने की हिम्मत किसी में नहीं .अराजकता से सम्स्यायें हल नहीं होतीं .मैं मूलतः शिक्षक हूँ और ७० से युवकों को ही संभालता झेलता भोगता रहा हूँ .बहुत मजा आया इस कार्य में .लेकिन हमने न तो कभी किसी को गुमराह किया ,न कभी किसी से हमें डर लगा सच और सच को आचरण में धारण किया यही हथियार रहा .युवकों में व्यवस्था के प्रति असंतोष तो होता है होगाही होनाभी चाहिए .और व्यवस्था परिवर्तन की महत्वाकांक्षा भी .किन्तु सच्चा मार्गदर्शक सही शिक्षक .सच्चा नेता तबतक युवकों को उद्दिगन नहीं करता जब तक् कोई सही रास्ता न मिल जाय .एक बार युवकों को खडा किया तो परिणाम तक पंहुचाये बिना उन्हें रुकना नहीं चाहिए .अन्यथा बहुत भयंकर परिणाम होता है .इस मायने में मैं अन्ना हजारे को बहुत बड़ा दोषी मानता हूँ .उन्हों ने युवकों को जोड़ा खडा किया और खुद परदे से गायब हो गए जब तक रहे गलत लोगों से घिरे रहे उन्हें खुद पता नहीं था की वे चाहते क्या हैं .अब परदे से गायब हो गए .रामदेव .केजरीवाल और संघ तथा भाजपा के अनेक अनुषंगों ने उन्हें लपक लिया .अब आज युवक उन्ही के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं .हजारे के बस में जब नहीं था तो गलत लोगों के लिए रास्ता क्यों खोला .यह बात युवकों को खुद समझनी होगी .कांग्रेस या भाजपा कोई दूध का धोया नहीं बेईमान दोनों में हैं पर देश का हित देख कर युवकों को साथ होना होगा .कपट से बचना होगा आज धर्म /हिंदुत्व भारत के लिए महत्त्व पूर्ण नहीं समान नागरिक समान अधिका र ..भारत सभी का है .यहाँ सभी को जीने का अधिकार है पूरी स्वतंत्रता से .देश किसी की बपौती नहीं .लाफ्फासों फासिस्टों .धर्मान्धों . जातीय जहर फूंकने वालोंऔर झूठ बोलने वालों की लफ्फासी को समझ कर वोट देना होगा.
देश को युवक ही बचा सकते हैं गलत हाथों में जाने से .उन्हें समझना होगा .आने वाले खतरे को पहचानना होगा .कपटी लोगोंको बे नकाब करना होगा .हल प्रदर्शन नहीं वोट से .मुझे कम से कम मुझे अपने युवकों पर भरोसा है .