Sunday 3 June 2012

कबीर धर्म की ब्याख्या है .कबीर कर्म का प्रमाण है

इस धरती पर कबीर से बड़ा कोई इन्सान पैदा ही नहीं हुआ ,एक मुकम्मल इन्सान क्या होता है जानने के लिए हर किसी को कबीर पढ़ना चाहिए .अनगढ़ ,सहज ,भीतर- बाहर एक ,निर्भय ,आस्थावान ,जागृत विवेक .बिना पढ़े पूरी तरह ज्ञानी ,प्रेमानुभूति की पराकाष्ठा को समझाने वाला .मनुष्यता का रक्षक ,जागृत ,त्यागी गृहस्थ ,मनुष्यता की रक्षा के लिए भगवान से भी मुठभेड़ करने को आमादा ,जीवन और जगत को पूरी तरह समझाने वाला ,उसकी नश्वरता का गायक .मनुष्य इस धरती पर दूसरा कोई नहीं ...कबीर को जानना एक तपस्या है .उसे समझना मनुष्य बनने के रस्ते में एक सफल कदम है, उसे जीना ही मनुष्य होना है .कबीर सत्य है, कबीर नित्य है, कबीर .लोक है ,कबीर लोक राग है ,कबीर जिजीविषा है ..अपने लोक को ,अपने लोकराग को .अपने सत्य को अपने नित्य में जी पाना ही कबीर होना है .उसे पढ़ना एक रोमांच है .उसे समझना ब्रम्ह को ,प्राणी को जानना है ,उसे जीना एक ताकत है ,कबीर जीवन की हिम्मत है .जीवन की कला है ..आज कबीर की ही सबसे जादा जरूरत है . कबीर धर्म की ब्याख्या है .कबीर कर्म का प्रमाण है .वह निष्काम कर्मयोगी गृहस्थ ...वेद की ब्याख्या है .पुरानो की समीक्षा है वेदांत दर्शन का निचोड़ है .....

1 comment:

  1. कबीर का विषद विवेचन इतने संक्षिप्त रूप मे करना तो गागर मे सागर भर्ना हो गया। प्रेरक एवं अनुकरणीय वर्णन है।

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