Saturday 16 May 2015

नकटा संप्रदाय



नारी मुई घर संपाति नासी मूड मुड़ाय भए सान्यासी . 
सन्यासी कथा . 
संजय ,उवाच ...महाराज एक गाँव मे एक दुश्चरित्र सकल्कर्मी दुष्ट था .गाँव वाले जब उस से परे शान हो गये तो .पंचायत मे निर्णय लेकर सब ने मिल कर उसकी नाक काट दी ..अब बच्चे उसे नकटा कह कर पुकार ने लगे .,परे शान होकर नकटा गाँव छोड़ कर भाग गया .कई दिन कई किलोमीटर चल कर वह तक गया भूख प्यास भी लगी सांझ को एक गाँव केबाहर तलब केपास एक पेड़ के नीचे बैठ गया , तका तो था ही .बेहोस हो गया .अब तक उसकी दाढ़ी भी बढ़ चुकी थी .| सुबह लोग दिसा मैदान के लिए सौच के लिए आए तो देखा की एक बीमार आदमी पड़ा है बेहोस |लोगों को दया आई .सेवा दवाई हुई .टे को हॉस आया .लोगो ने नहलवाया खाना दिया |जब थोडा माहौल शांत हुवा तो एक ने पूछा बाबा कहाँ से आरहे हो कहाँ जाओगे ? नकटा बोला .बच्चा .हम ठहरे रमता जोगी ..तीर्थ यात्रा पर जा रहे थे तबीयत खराब हो गयी .ठीक होते ही चला जौँगा .गाँव के लोग लग गये पुण्य के लालच मे बाबा की सेवा करने ,आपस मे होड़ लग गयी , कोई खाना कोई कपड़ा किसी ने कूट बना डी .राम भजन होने लगा .ढूनी जल गयी आस पास खबर हो गयी भीड़ आने लगी चढ़ावा चढ़ने लगा बाबा की चल निकली | बाबा ने सारे प्रोग्राम त्याग दिए वहीं डेरा डाल दिया .| एक दिन एक जिग्यासु ने पूछा ...बाबा बाकी सब तो ठीक है पर आप की नाक कैसे कटी ..नकटा बोला ..राम राम नाक नही नासिका कहो बच्चा .नासिका अहम का प्रतीक है इसके कारण हृदय मे बैठे भगवान के दर्शन मे ब्यावधान हो रहा था .सो हमने नासिका कटवा दी | जिग्यासु ने उत्सुकता से पूछा तो आप को भगवान के साक्षात दर्शन हुए हाँ हुए ..नकटा बोला | हम भी नासिका का त्याग करके भगवान के दर्शन कर सकते हैं क्या ,? जिग्यासु ने पूछा . नकटा बोला हाँ |वह बयकति बोला तो काट दो ..हम भगवान को देखेंगे .नकटा बोला ब्रम्‍ह मुहूर्त मे आना नहा धो कर पूजा करके भगवान का आवाहन करेंगे फिये नासिका त्याग करेंगे फिर दर्शन होगा | दूसरे दिन वह आदमी गया .विधि विधान का नाटक करके नकटा ने उसकी नाक काट डी .| दर्द हुवा वह आदमी छटपटाने लगा ..थोड़ी देर बाद उसे ध्यान आया की भगवान तो दिखे ही नही .वह पहले तो खुद कोशिस किया पर नही दिखे .फिर उसने नकटा से पूछा ..भगवान कहाँ हैं .नकटा जो उत्तर दिए आप भी ध्यान से सुने ..महाराज नकटा बोला ....सेयेल जब भगवान थे तब तो तुम छटपटा रहे थे .वे चले गये .इतनी बड़ी दुनिया मे तुम अकेले तो हो नही जिसे दर्शन देना था .भगवान दूसरे भक्त के पास गये |भक्त बोला अब मेरा क्या होगा .| नकटा बोला अब चिल्ला मैने भगवान को देखा नाक कटवा कर देखा गुरु जी की कृपा से देखा ..नही तो लो तिरस्कृत करेंगे नकटा कहेंगे ..भक्त की समझ मे गया ..वह चिल्लाया ..दिखे दिखे भगवान दिखे ..लोगों ने तिलक लगा कर उसे भी परम हंस बना दिया ..बस एक से दो दो से चार चल पड़ा नकटा संप्रदाय ..........आया कुच्छ समझ मे ...महा राज जी .कहकर संजय चुप हो गये ..मैं भी चुप होता हूँ ..आप सोचिए .. . 

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