Saturday 6 August 2016

आरएसएस शांति का पक्षधर नहीं है

मनोहर परिकर ने अभी कुछ दिनों पहले एक बयान देते हुए आमिरखान और किरण को कुछ कुछ कह गए .जो उन्हें नहीं कहना था .असल में यह उनकी आदत है .एक साल पहले उन्हों ने एक बयांन दिया था .
."सेना के महत्व का ह्रास हुवा है क्यों की पिछले ४० ५० सालों में देश ने कोई युद्ध नहीं लड़ा .....
दो बातें .
एक तो मनोहर परिकर खाना क्या चाहते हैं क्या हर रोज युद्ध लड़ा जाना चाहिए
दूसरी की बांगला देश का निर्माण युद्ध और कारगिल का युद्ध हुए ४० ५० साल हो गए क्या ......
आखिर मनोहर परिकर खाना क्या चाहते थे क्या वे अगली लोकसभा के पहले सेना के महत्व को बढाने के नाम पर देश को किसी युद्ध में झोंकने की सोच रहे हैं क्या
मनोहर परिकर अगर ऐसा सोच रहे हैं तो कोई आश्चर्य नहीं क्यों की आरएसएस शांति का पक्षधर नहीं है वह अशांति के माध्यम से भय पैदा करके अपनी शक्ति बढ़ता है शक्ति की पूजा करता है शस्त्र  की पूजा करता है .उसका शास्त्र से कुछ लेना देना नही .वह शिवाजी और झांसी की रानी का पक्षधर है .इसीलिए उन्हें गाँधी नेहरू पटेल खटकते थे .आरएसएस न तो सामाजिक नियमन और सहिष्णुता में विशवास करता न शांति में ...मनोहर परिकर के दोनों कथन पर संसद में बंहस होनी चाहिए थी लेकिन यहाँ तो हमारे विपक्षी नेता बस बोलते हैं सोचते नहीं पढ़ते नहीं .पाकिस्तान मो फद्गोबरी खेल कर लौटे राजनाथ ने संसद को गुमराह कर दिया और लोग झांसे में आ गए .काश्मीर में अशांति असम में अशांति उत्तरप्रदेश में अशांति राजस्थान छत्तीसगढ़ में अशांति ..गुजरात में आंध्र में अशान्ति ....
न्याय शांति का प्रथम न्यास है .......और संघियों से न्याय दिवा स्वपन है
 मानव जाति का इतिहास दो प्रकार के युद्धों का साक्षी है .न्याय पूर्ण युद्ध और अन्याय पूर्ण युद्ध ..न्य्याय पूर्ण युद्ध का सम्बन्ध समाज की प्रगति और निरंतर क्रांतिकारी विकास से होता है ..जब की अन्य्याय पूर्ण युद्ध ठीक इसके बिपरीत ..केवल सत्ता सुख भोगने की नीयत से . यह युद्ध उन भौतिक शक्तियों का साथ देता है जो समाज की गत्यात्मकता को पंगु बनाने की असफल चेष्टा करती हैं .हमारा देश इसी दूसरे प्रकार की शक्तियों के अन्य्याय पूर्ण युद्ध की विभीषिका झेल रहा है

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