क्या ?
ऐसा नहीं हो सकता /
कि जब भी मिलें हम
एस तरह मिलें ,
जैसे मिलती हैं ,
अलग अलग दिशाओं में ब्याही
दो सखियाँ
वर्षों बाद किसी मेले में /
जीवन में बहुत बवाल है वरना ,
कौन भूलता है
बेफिक्र दिनों को ,
आप भी नहीं भूले होंगे
पर याद नहीं करते होंगे हरदम ,
आखिर कौन है इतना फुर्सतिहा /
बहुत मार काट है इन दिनों ,
जिसे देखो वही दूसरे को धकियाते जा रहा है /
ऐसे में महज इतना हो जाय तो भी अच्छा है कि
जब आप थक हार कर पोंछ रहे हों
अपना पसीना
तो याद आ जाय
पसीना पोंछते पिता का थका चेहरा
और यह की दुनिया सिर्फ हमारी बपौती नहीं है
यहाँ सभी को हक है जीने का
अपनी आजादी के साथ /
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