काल का प्रवाह कभी नहीं रुकता
सभी चल रहे हैं .मंजिल तक कितने पहुंचे
धारा के बिपरीत तैरना आज कल बहुत कठिन है
समय के साथ मुठ भेड़ आसन नहीं .कोई साथ नहीं देता .
निरंतर अकेले पड़ते जाने का खतरा ..दुःख .. पीड़ा
तोड़ देता है लय ,समाप्त हो जाती है गतिशीलता...
सुर ताल छंद सब बेढंग हो जाते हैं
वक्त के साथ जिसने मिला ली है ताल
जमाना उसी का है ,सफल है वह ,
जिन्दगी का हर तराना ,हर फ़साना उसका है
उम्र के चुकते जाने के खतरे से जूझते हुए
यह अनुभूति ,की गालिबन वक्त कम है .
काम बहुत है .निरंतर परेशां करती है
जितना अभी तक किया है उस से जादा करना है
जितना अभी तक जिया है उस से जादा मरना है
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