Sunday 18 March 2012

तुम पगली

देखो ! तुम्हारे पति के पास एक किसान की विरासत है उसने अपने पिता की आँखों में कभी साँझ नहीं देखी अपनी माँ को कभी हारते नहीं देखा . ये दिन भी बीत ही जायेंगे धीरज धरो कुछ भी ठहरा नहीं रहता न समय , न सुख तो दुःख भी नहीं . फिर कैसी हताशा ,कैसी निराशा , तुम पगली जाने क्यों घबडाती हो

1 comment:

  1. एक रिटायर्ड मेजर जेनरल साहब ने सुनाया था-"सुख ने कहा दुख से जाते-जाते;जब मै न रहा तो तुम भी न रहोगे "।

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