Thursday 13 September 2012

हिन्दी दिवस14 sept

हिन्दी दिवस14 sept देश हिन्दी दिवस की औपचारिकता निभाए गा ,संस्थाओं मे कार्यालयों मे चर्चा होगी .बस हो गया .हिन्दी को राष्ट्रभाषा तो डोर संपर्क भाषा का दर्जा भी पूरे देश मे नही है .इसके दो दुश्मन है एक तो अँग्रेज़ी का क्रेज़ नही छूट रहा है दूसरे वोट की राजनीति ने क्षेत्रीय बोलियों को हिन्दी का प्रतिस्पर्धी बना रखा है .लोग या तो अँग्रेज़ी बोलते हैं या क्षेत्रीय बोली. हिन्दी विश्व की सबसे वैज्ञा निक भाषा है .देवनागरी सबसे वैज्ञानिक लिपि ,दोनो ही हमारी सांस्कृतिक विरासत के संवाहक भी हैं यही दुनिया की एक मात्र भाषा है जिसमे जो लिखा जाता है वही बोला जाता है .हमारे जातीय परिवारिक रिश्तों के हर इकाई के लिए शब्द हैं .पूजा पाठ एवं खेती खलिहान से लेकर संवेदनाओं की प्रस्तुति के शब्द हैं .पर फिर भी उपेक्षित है .स्वतंत्रता के बाद यही हमारी कमाई है हिन्दी का तिरस्कार .,गाँधी स्वामी दया नंद जैसे महान लोगों ने जिसे अपना हथियार बनाया ,पाठ्यक्र्मो मे औपचारिक हो कर रह गयी .जो हिन्दी का खाते हैं वे भी हिन्दी का गाते नही .या तो क्षेत्रीय बोली के नेता बनाते हैं या अँग्रेज़ी के मसीहा ...हमारी तहज़ीब .हमारी अस्मिता की पहचान है हिन्दी . देवनागरी लिपि के रचना कारों ने कोई कसर नही छोड़ी हर एक सांस्कृतिक शब्द को ध्यान मे रख कर लिपि की रचना की काका मामा नाना नानी मामी चाचा काकी अम्मा बापू नाती पोताबाबा ताउ मौसी बुआ सास ससुर साली .लोहार बढ़ई धोबी नाउ कहार डॉली दुलहन प्रणाम चरण पदुका घड़ा पनघट पनिहारीन भोर दुपहरी उषा संध्या कुआँ सखी सखा बरहि कथा तरकारी सब्जी पूड़ी खीर भात डाल बासी ज्ञान ऋषिगुरु जैसे शब्द क्ष त्र स श ष .य व जैसी ध्वनियों का विशेस महत्व है हमारी संस्कृति मे ,और किसी भाषा मे नही पर हत भाग्य वह रे वोट की राजनीति ...नेताओं ने देश का सत्या नाश कर दिया धर्म की कर्मकांड की मोक्ष की माला जपते हैं .पर संस्कृति इन्हे समझ मे नही आती ..

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