Friday 14 September 2012

उषा पीसती नेह जतन से

उषा पीसती नेह जतन से जांत चले भिनसारे भोर लीपती रच रच आँगन पूरे चौक उजारे . मूसल छांटे बिपति दुपहरी ओखली धरी ओसारे . साँझ झोंकती थकी जवानी चूल्हे में सिर डारे . आधी रात बदलती करवट आँख समय बिरुआरे . चेहरे पर चौरासी झुर्री मईया ठाढ़ दुआरे . लाले लाले गोड़ कनईया आँखें सपना बुनतीं . काल कलौती उज्जर धोती मंशा चुनती मोती,

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