Thursday 13 September 2012

हिन्दी दिवस.2

हिन्दी दिवस पता नही क्या मलिक की भाषा और नौकर की भाषा हिन्दी हमारी जातीय संस्कृति की संवाहक भाषा है .,यह हिन्दी जाति की भाषा है ..भारतीय लोक की भाषा है इसी मे हमारी क्षेत्रीय बोलियाँ समाहित हैं ,क्षेत्रीय बोलियों से हिन्दी पुष्ट और समृद्ध होती है ..लौकिक मुहावरे लोक उक्तियाँ हमारी भाषा को ताक़त वर बनाती हैं भाषा किसी की बपौती नही पुराण काल मे भी ब्राम्‍हंन संस्कृत बोलते थे लौकिक बोली शूद्रो की बोल ी कही जाती थी उसी तर्ज पर अँग्रेज़ी मलिक की और हिन्दी नौकर की भाषा कही जाती है /आज कल फिल्मों मे हिन्दी मालिक की भाषा और भोजपुरी नौकर की भाषा दिखाई जाती है,यह नौटंकी बंद होनी चाहिए यह भोजपुरी का अपमान है .किसी भी भाषा पर आप गँवारों की भाषा का ठप्पा नही लगा सकते ,.भाषा किसी की बपौती नही हर किसी को हर भाषा बोलनी चाहिए बोलने का अधिकार है हर भाषा का सम्मान होना चाहिए अपनी भाषा पर स्वाभिमान होना चाहिए .हम जिस भाषा मे सोच सकते हैं उसी मे अभिब्य्क्त होना सहज और स्वाभाविक होता है .सार्थक भी .

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