Thursday 24 April 2014

यह काशी है .इसकी तासीर में सरलता और तरलता है .यह अधिनायक बादी दम्भी को सबक सिखाएगी

आईये आज काशी पर बात करें . टुकुर टुकुर निहारते गुंडों से पद दलित होते आज की काशी की चर्चा करें .
उद्दद्न्ड मोदी ने कहा ..मुझे गंगा मैय्या ने बुलाया मैं खुद नहीं आया .मैं गंगा का उद्धार करूंगा उसे शाबर मती बनाउंगा(भागीरथ बनगया )
.उद्दद्न्ड मतिमंद  मोदी ने कहा  यूपीए द्वारा की गयी बर्बादी से देश को बचाने के लिए ईश्‍वर ने मेरा चुनाव किया है। कठिन काम करने के लिए ईश्‍वर कुछ लोगों का चयन किया करता है। मेरा विश्‍वास है कि इस काम के लिए ईश्‍वर ने मुझे चुना है।बस केवल 20 दिन और । मात्र 20 दिन बचे हैं फिर मैं बदला लूंगा । एक एक पैसे और मिनट का हिसाब लूंगा ।
( मुहम्मद पैगम्बर और ईशा बन गया) ......गंगा का उद्धार करेगा(.भागीरथ बन गया ) .भगवान को उपकृत करेगा (बारह अवतार बन गया )वह जो खुद अशुद्ध है .काशी के लोगों में पानी होगा तो ऐसा सबक सिखाएगे  की इन अधिनायक् बादी .फासिस्ट को भागने से रास्ता नहीं मिलेगा .यह काशी है इसका मिजाज बड़े बड़े नहीं समझ सके ..तुम जैसे तुच्छ प्राणी क्या समझेंगे .जाओ और अपनी माता तथा पत्नी को घर लाओ .उनकी सेवा करो प्रायश्चित से पाप धुल जायेंगे
यह कबीर की काशी ..कबीर यह घर प्रेम का खाला का घर नाही .सीस  उतारे भूईं धरे तब पैठे घर माहि ....यह प्रेम की नगरी है दंभ अहंकार को यहाँ दुत्कार मिलाती है /
मुंशी प्रमचंद की काशी.....मुंशी प्रेमचंद का निधन हो गया था सारे साहित्यकार अर्थी लेकर जारहे थे .एक ने दूकान पर झाडू लगाते हुए कहा ..लगता है की कोई मास्टर मर गया .नन्द दुलारे बाजपेई भड़क गए .इतना बड़ा साहित्यकार उठ गया ये कहता है ....बाबु जयशंकरप्रसाद ने कहा ..यही तो बनारसी रंग है .यहाँ कोई किसी से जादा मतलब नहीं रखता .
प्रसाद की काशी ..ज्ञान दूर कुछ क्रिया भिन्न है इक्षा क्यों पूरी हो मन की
एक दूसरे से न मिल सकें यह बिडम्बना है जीवन की .
जीवन का उद्देश्य नहीं है श्रांत भवन में टिक रहना
किन्तु पंहुचाना उस सीमा पर जिसकी कोई गैल नहीं
अथवा उस आनंद भूमि पर जिसकी सीमा कहीं नहीं /
धूमिल की काशी ..एक आदमी रोटी बेलता है एक आदमी रोटी खाता है एक है जो न बेलता है न खाता है ..यह तीसरा आदमी कौन है देश की संसद मौन है .
यह लालबहादुरकी नगरी है  .बुद्ध ने यहीं से ज्ञान का प्रसार करना शुरू किया था शांति का सदेश देकरदुनिया को रास्ता दिया .
पर आज वही  काशी बिलबिला उठी .आज एक आक्रान्ता की नौटंकी से काशी कराह उठी .भला हो समाज् बादियों का की पंडित मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा से धोकर शुद्ध कर दिया . कशी की गलियाँ सीढियां और घाट .मोदी को गंगा जली पकड़ा देंगे

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