Saturday 2 February 2013

मै वहां कभी नहीं गया..पर मै वंहा हर क्षण होता हूँ ...


मेरे घर से थोड़ी दूर पर है .वह कब्रिस्तान
नजदीक ही है वह श्मशान ,एक ही जमीन का टुकड़ा
जो दफनाये गए उनके लिए कब्रिस्तान
जो जलाये गए उनके लिए श्मशान
चारो ओर से खुला है ,हर चुनाव में .
इसके घेरे बंदी की चिंता करते हैं नेता लोग
अपने भाषणों में इसे मरघट कहते हैं ,
लोग दफनाये जाते हैं लोग जलाये जाते हैं इसी मरघट में ,
मोहल्ले के रहवासियों के लिए आबादी के निस्तार का
एक हिस्सा ही है यह/ मरघट मेरे छत से दिखता है /
मेरे घर और मरघट के बीच एक बहुत बड़ा ताल है
तालाब नुमा /इसमें "आब" नहीं है /फैली है बेशर्मी
डबरा है थोडा सा /इसी में लोटते रहते हैं दिन भर
भैंसें, सूअर ,बकरियां ,गाँयें,कुत्ते और कुत्तों के पिल्लै
चरवाहे,नशाखोर ,जुआरी ,कचरा बीनने वाले बच्चे ,रात में
कबर बिज्जू /किनारे --नाऊ,धोबी .पान और चाय की दुकान
दुकानों पर ग्राहक .भीड़ .सोहदे .बाल कटवाते लोग
सड़क से स्कूल जाती लड़कियों को घूरते ,पेपर पढ़ते .बीडी पीते चेहरे
दिशा मैदान करने वाले गालो पर हाथ धरे बेशर्मी की आड़ में चैन से शौच करते है /
लोग जलाये जाते हैं ,लोग दफनाये जाते है इसी मरघट में
पर इस दिनचर्या में कोई खलल नहीं पड़ता/एक डाक्टर हैं
अस्पताल भी है उनका इसी मरघट के किनारे
मरीजों के पलस्तर काट काट करफेंक देते हैं .कर्मचारी इसी मरघट में रोज /
छितराए रहते हैं मानव अंग प्रत्यंग रोज इसी मरघट में ,इन्ही में खेलते हैं
कचरा बीनने वाले बच्चे कुत्ते. कुत्तों के पिल्लै /तालाब और मरघट को
अलग करने वाले मेड पर एक आम का पेड़ है ,कितना पुराना है किसी को नहीं पता
चांदनी रात में मेरे घर की छत से दिखता है.मरघट का विस्तार और आम का पेड़/
मेरे लिए आम के पेड़ का इस जगह होने का कोई अर्थ ,या प्रयोजन नहीं
पर आम के पेड़ का इस जगह होने का अर्थ भी है ,प्रयोजन भी है
पेड़ है तो छाया है .कोटर है मधु मक्खियों का छत्ता है चिड़ियाँ है घोसला है
गलियों में लुका छिपी खेलते बच्चों की तर्ज पर आगे पीछे सरपट भागती हैं
गिलहरियाँ इस की मोती डालों के बीच /इस पेड़ के वंहा होने की कोई योजना नहीं थी फिर भी वह वहां हैऔर उसके होने से बहुत कुछ है /ऋतुएं आती हैं जातीं हैं
पतझड़ होता है .बसंत आता है कोयल कूकती है छाया होती है बच्चे अमियाँ तोड़ते हैं
पत्थर मार मार कर ,मै वंहा कभी नहीं गया पर हर क्षण होता हूँ
,हर जलती चिता में हर दफ़न होती लाश में ......

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