SMT kamala mishra
पिछले ४५ वर्षों से
चूल्हा फूँकते फूँकते
वह
फुंकनी बन गयी
और
न जाने कब
फुंकनी से चूल्हे मे
तब्दील हो गयी |
नित्य
सुबहो शाम
आंटागूँथते लोई बनाते
वह गुँथी गयी
और
न जाने कब लोई बन गयी
वह ख़ुसी ख़ुसी
रोटी मे तब्दील हो गयी |
वर्षों
सुई मे धागा पिरोते पिरोते
वह सुई धागा बन गयी
और धीरे धीरे करघा मे
तब्दील हो गयी |
मुँह अंधेरे
बुहारी से घर आँगन
बुहारते बुहारते
वह बुहारी बन गयी और
पूरी निष्ठा से
घर आँगन मे तब्दील हो गयी |
क्या इतना आसान है
अपने को धरती बना लेना ?
पिछले ४५ वर्षों से
चूल्हा फूँकते फूँकते
वह
फुंकनी बन गयी
और
न जाने कब
फुंकनी से चूल्हे मे
तब्दील हो गयी |
नित्य
सुबहो शाम
आंटागूँथते लोई बनाते
वह गुँथी गयी
और
न जाने कब लोई बन गयी
वह ख़ुसी ख़ुसी
रोटी मे तब्दील हो गयी |
वर्षों
सुई मे धागा पिरोते पिरोते
वह सुई धागा बन गयी
और धीरे धीरे करघा मे
तब्दील हो गयी |
मुँह अंधेरे
बुहारी से घर आँगन
बुहारते बुहारते
वह बुहारी बन गयी और
पूरी निष्ठा से
घर आँगन मे तब्दील हो गयी |
क्या इतना आसान है
अपने को धरती बना लेना ?
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