Saturday, 5 January 2013

आज पहली बार

आज
पहली बार जाना
पालने मे पड़ी हुई
मेरी छोटी सी बिटिया
स्नेह के क्या क्या
करतब दिखाती है |
रसोई घर मे
खाना पकाते हुए
मेरी पत्नी
स्वादों के कैसे कैसे
करिश्मे रचाती है .|
बगीचे मे उकड़ू बैठे
मेरे बूढ़े पिता
रंगों की कैसी कैसी
महफ़िल सजाते हैं |
सांझ सकारे
तुलसी चौरे पर
जल चढ़ाते ,अक्षत डालते
दीपक जलाते
मेरी माँ
संस्कारों की
कैसी कैसी दुनिया बसाती है|
मैं ही मूरख था
जो अपने घर मे ही
अजनबी बना रहा ||

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