एक तालाब था ,उसके मेड पर एक नेवले का बिल था ,तालाब के किनारे एक पेड़ था
,पेड़ पर एक बगुला का घोसला था ,तालाब मे मछली और केकड़ा रहते थे ,पेड़
की जड़ मे एक साँप का बिल था.|बगुला के अंडे बच्चे .साँप खा जाता था
,बगुला तालाब की मछली खा जाता था ,.एक दिन बगुले ने केकड़े से शिकायत की
--मेरे अंडे बच्चे साँप खा जाता है .कोई उपाय बताओ | केकेडा सोचा की बगुला
मेरा भी दुश्मन ही है जिस दिन मौका पाएगा मछलियों की तरह मुझे भी खा ही
जाएगा ,इस को ऐसी तरकीब बताएँ की साँप भी मरे और यह भी मरे .,केकेडे ने
उसे समझाया की वह मछली का टुकड़ा नेवाले के बिल से लेकर साँप के बिल तक
फैला दे .नेवाला उसके लालच मे खाते खाते साँप के बिल तक पंहुच जाएगा ..और
फिर साँप के टुकड़े टुकड़े कर देगा ..बगुले ने वैसा ही किया ,नेवाला साँप
के बिल तक पंहुच गया फिर तो साँपऔर नेवाले के युद्ध मे साँप मारा गया
,किंतु साँप की बिल तक पंहुचा नेवाला पेड़ तक पहुँच ही गया था वह पेड़ पर
चढ़ के बगुले को भी खा गया ,और केकड़ा तथा मछली की जान बच गयी ...कहते हैं
की दुश्मन से कभी बिपत्ति मे सलाह नही लेना चाहिए .
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