Saturday 5 May 2012

गर्मी के दिन :कुछ अभंग छंद


गर्मी के दिन :कुछ अभंग छंद नीरस हुई निगोड़ी पछुवा नीकी लगे छाँव सूखन लागे ताल तलैया सूरज ठाहर गाँव धूप बैसाख बढ़ी... सूरज ने फैलाईं बांहें लूह चले चहुँ ओर दहकन लागी दासों दिशाएं छाँव खोजती ठौर जेठ में तपन बढ़ी ..... पके आम चुचुआने महुआ बगिया सिमटा गाँव ताल सरोवर दरकन लागे धधक उठी हर ठाँव भोर कुछ खिली खिली .... भांय भांय करती दुपहरिया चिड़िया दुबकी पात नाच रही चिल चिल गंगानिया सुलगे आधीरात जवानी ग्रीष्म चढी ....

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