Friday 18 May 2012

तुलसी ने काम को पीट पीट कर राम बना दिया


तुलसी ने काम को पीट पीट कर राम बना दिया by Saroj Mishra on Friday, May 18, 2012 at 8:16pm · मेरे मित्र और मेरे ही सहनाम श्री सरोज मिश्र जी ने एक दिन एक जिज्ञासा ब्यक्त की थी .जिज्ञासा जितनी सरल थी उसका समाधान उतना ही श्रम साध्य .है .आज मूड बना है कोशिश करूँ शायद बात बन जाय .तुलसी के सम्बन्ध में आप का प्रशन अनजाने में ही तुलसी के रामबोला से तुलसी बनने की रचना प्रक्रिया है .किसी भी रचना कर या ब्यक्ति के बारे में जानने के कुल श्रोत हैं ..अपने बारे में उसका अपना कथन /उसके बारे में लोंगोका कथन /और जन श्रुतियां /कई बार जनश्रुतियां बहुत महत्त्व पूर्ण भूमिका निभादेती हैं /जैसे की बाल्मीकी जी के रामायण में धोबी का प्रसंग .अदना सा धोबी उसका कथन राम की कथा को एक खूब सूरत मोड़ दे देता है .क्यों क्योंकि धोबी का कथन समाज की स्वीकृति था .तुलसी ने अपने बारे में अपनी कबितावाली में लिखा है /रहीम ने भी तुलसी के बारेमे लिखा है नरेंद्र कोहली और रागे राघव की रचनाओं से भी सहायता ली जा सकती है .यह निर्विबाद सत्य है की तुलसी के माता पिता ने जन्म के साथ उन्हें अशुभ कह कर फेक दिया था . मात पिता जग जाय तज्यो बिधि हूँ न लिखी कुछ भाल भलाई, मांग के खायाबो मसीत को सोइबो लैबे को एक न देबे को दोउ . तुलसी सर नाम गुलाम है राम को जाके रुचे सो कहे कछु कोऊ काहू की बेटी से बेटा न ब्याहब काहू की जाति बिगराब न सोऊ एक बात तो तय है की रामबोला यही तुलसी के बचपन का नाम था क्यों की जन्म के साथ उन्हों ने राम राम कहा था / बच्चे को दर दर बिललाना पड़ा था ,उसे पता ही नहीं था की उसका क्या होगा .भला हो नरहरि का जिन्हों ने उस बच्चे को पढ़ा लिखा कर तुलसी बनाया .और तुलसी के पौधे की तरह घर घर में पूज्य हो गया .यह कथा है दिए से तूफ़ान बनाने की.लेकिन तुलसी बनाने के पहले की संघर्ष गाथा बड़ी रोचक है अनाथ तुलसी का विवाह रत्नावली से गंगा पार हो गया . वे मायके गयीं थीं /.तुलसी बौड़म थे .एक बरसाती रात को काम ने अपना प्रभाव दिखायापत्नी की यद् आयी गंगा में कूद पड़े ,बहाव में बह रहे थे की एक सहारा मिल गया नदी पार हो गए उसी सहर .पार जाकर देखा तो वह एक बहत हुआ मुर्दा था .बह्गे .रात को ससुराल में दरवाजा खटखटाने के बजाय चोरी से एक रस्सी के सहारे ऊपर चढ़ गए बाद में देखा तो वह सांप था खैर पत्नी के पास पहुंचे .वह बिखर गयीं ,विदुषी थीं .उन्होंने तुलसी को झटक दिया/ फटकारा .कहते हैं की उन्हों ने कहा . अस्थि चर्म मय देह तामे ऐसी प्रीति,होती जो रघु नाथ में तो होती न भव भीति अपने गाँव से लेकर अभी तक तुलसी काम के प्रभाव में थे अब उनका ज्ञान जाग गया .इस प्रसंग को तुलसी ने मानस में नारद मोह के रूप में ब्यक्त कर स्वी कार किया है ... जप तप कछु न होई यहि काला हे बिधि मिलहि कौन बिधि बाला .कहकर काम का प्रभाव है ही ऐसा .यहीं से तुलसी काम को पीट पीट कर राम बनादेते हैं और ऐसा बनादेते हैं की राम बोला तुलसी बन जाता है..... मानस .विनय पत्रिका ,कवितावली ,गीतावली .राम ललानहछू ,वैराग्य संदीपनी बरवै रामायण तुलसी की रचनाएँ हैं ..सब प्रकार से परिपूर्ण तुलसी जीवन के आख़िरी में अपने गाँव गए .किन्तु गाँव के लोगों ने उनका मजाक बनादिया .कहते हैं की गाँव के लोगो ने कहा ..देखो ज़रा यह आत्मा राम का लड़कवा राम बोलवा कैसा चन्नन मन्नन लगाया है लगता है बड़का पंडित बना है .तुलसी वही रोक गए .एक दोहा कहा . तुलसी तहां न जाइये जहाँ आपनो ठौर ,गुण अवगुण समझें नहीं कहैं और को और . फिर लौट गए और अंत तक गाँव नहीं गए . कबीर ने भी एक बार कहा था.काम मिलवाई राम सूँ अर्थात अर्थ धर्म काम मोक्ष इन चरों पुरुषार्थों में काम को पीट पीट कर अर्थात जीत कर चाहें तो ब्रम्ह को पाया जा सकता है .इसी लिए रमेश कुंतल मेघ ने कहा की तुलसी ने काम को पीट पीट कर राम बना दिया सरोज मिश्र

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