भारतीय मानस जिन्हे धर्म ग्रंथ कहता है .
मूलतः वे ही अधर्म को तर्क देते हैं
,इन्ही ने हमारे मॅन मस्तिस्क मे
स्त्री को भोग्या बना रखा है
स्त्री की योनि मे पत्थर .पुरुष डालता है .
स्त्री से सामूहिक व्यभिचार पुरुष करता है .
.जो उसने इन्ही धर्म ग्रंथो की क्षेपक कथाओं से सीखा है
मानुष के आचरण की सभ्यता को धर्म
किसी धर्म ग्रंथ ने नही कहा .
ढोंग पाखंड को धर्म कहता है .,
इन्ही धर्म ग्रंथो मे लंपट इंद्र
स्त्री के का शील भंग करता है
.इन्ही ने दुर्योधन की जाँघ पैर ड्रॉपड़ी को बैठाया गया
पाँच पाँच पतियों की भोग्या बनाया
इन्ही मे कुंती बिन ब्याही मा बनी ...
इसी लिए कहता हूँ की सावधान
यही ताकतें जो धर्म के नाम पर राजनीति करती हैं
वही स्त्री का शील हरण करती हैं
उन्हे मंदिरों मे गणिका बनाती हैं
उठो जागो .स्त्री को मुक्त करो
झूठे धार्मिक जकड़न से
लेने दो सांस उन्मुक्त ..............
जीने दो मनुष्य की तरह ..
वह तुम्हे जन्म देती है .
वह मा है .
वह प्रकृति है .पुरुष !!!!!!!!!!!!!!!
विनिष्ट मत करो
मूलतः वे ही अधर्म को तर्क देते हैं
,इन्ही ने हमारे मॅन मस्तिस्क मे
स्त्री को भोग्या बना रखा है
स्त्री की योनि मे पत्थर .पुरुष डालता है .
स्त्री से सामूहिक व्यभिचार पुरुष करता है .
.जो उसने इन्ही धर्म ग्रंथो की क्षेपक कथाओं से सीखा है
मानुष के आचरण की सभ्यता को धर्म
किसी धर्म ग्रंथ ने नही कहा .
ढोंग पाखंड को धर्म कहता है .,
इन्ही धर्म ग्रंथो मे लंपट इंद्र
स्त्री के का शील भंग करता है
.इन्ही ने दुर्योधन की जाँघ पैर ड्रॉपड़ी को बैठाया गया
पाँच पाँच पतियों की भोग्या बनाया
इन्ही मे कुंती बिन ब्याही मा बनी ...
इसी लिए कहता हूँ की सावधान
यही ताकतें जो धर्म के नाम पर राजनीति करती हैं
वही स्त्री का शील हरण करती हैं
उन्हे मंदिरों मे गणिका बनाती हैं
उठो जागो .स्त्री को मुक्त करो
झूठे धार्मिक जकड़न से
लेने दो सांस उन्मुक्त ..............
जीने दो मनुष्य की तरह ..
वह तुम्हे जन्म देती है .
वह मा है .
वह प्रकृति है .पुरुष !!!!!!!!!!!!!!!
विनिष्ट मत करो
वर्ष 2013 आपको सपरिवार शुभ एवं मंगलमय हो ।
ReplyDeleteशासन,धन,ऐश्वर्य,बुद्धि मे शुद्ध-भाव फैलावे---विजय राजबली माथुर
shukriyaa vijay raj bali ji .
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