Sunday 1 January 2012

अफीम युद्ध

मित्रों इतिहास में चीन का अफीम युद्ध प्रसिद्द है ,इसी को मै कहूँगा /कुछ अलग अंदाज में :-
अंग्रेज चीन में मुफ्त अफीम उसी तरह बाँट ते थे जैसे भारत में चाय /एक दिन अपनी कक्षा में एक शिक्षक ने युवकों के एक ग्रुप से इस विषय पर चर्चा की ,इसके भविष्य में पड़ने वाले प्रभाव की बात की और छात्रों से बताया की इसे रोकना ही होगा अगर नहीं रोका गया तो एक दिन सारा चीन अफीम खाकर सोयेगा और अंग्रेज सब लूट कर ले जायेंगे /छात्रो ने तय किया की प्रति दिन कक्षा के बाद वे घर घर जा कर लोंगो को जागृत करेंगे की वे अफीम न खाएं /इसी अभियान में काम करते करते एक दिन रात हो गई ,सकारात्मक परिणाम से उय्साहित छात्र रात रात भर घर घर जाते और अंग्रेजों से चोरी चोरी अफीम के विरुद्ध प्रचार करते /एक दिन लौट ते वक्त काफी रात हो गयी थी छात्रो के रस्ते में एक सूखी नदी पडी ,किसी ने सलाह दी की क्यों थोड़ीदेर सूखी नदी के बालू में विश्राम कर लिया जाय फिर सुबह होने पर आगे की यात्रा की जाय , सभी को यह मत अच्छा लगा ,सभी आराम करने लगे /अभी ठीक से उजाला नहीं हुआ था सब चलने लगे इसी समय नदी के पत्थरों से आवाज आई :-छात्रों ये पत्थर जो आप के पैरों से टकरा रहे हैं इन्हें बटोर लो ये आप को शुख देंगे ,ये आप को दुःख भी देंगे /सभी ने सुना ,पूरा ग्रुप तीन भागों में बाँट गया, एक ने खूब बटोरा जितना बना बटोरा , सोचा सुख तो देंगे न जब दुःख देंगे देखा जायेगा /दूसरे ने थोडा बटोरा ,सोचा सुख देंगे पर दुःख भी तो देंगे /तीसरा बिलकुल नहीं बटोरा ,सोचा सुख देंगे तो क्या दुःख भी देंगे ,दुःख नहीं चाहिए / सभी आगे बढे ,सवेरा हुआ, रोशनी हुई ,उत्सुकता में एक ने बोलने वाले पत्थरों को खोल कर देखा तो हैरान रह गया ,वे पत्थर नहीं हीरे थे, अब सभी पश्चाताप कर रहे थे, जिन्होंने खूब बटोरा था वे कुछ काम, जिन्होंने नहीं बटोरा था वे कुछ जादा /दोस्तों ये हीरे क्या हैं ..यही समय है ..जो समय को तिरस्कृत करेगा जादा पछतायेगा, जो बटोर लेगा वह काम ,,२०१२ को बटोर ले ..रोक लें ,आप को कोशिश करके समय को रोकना होगा ,समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता ,जिसने समय को काबू में किया वही मुकद्दर का सिकंदर ,,

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