Thursday 19 January 2012

विचार है की मानने को तैयार नहीं /

राखी का दिन सुबह के ४.३० बजे थे
एक मित्र का फोन आया रायपुर से
उसे मेरी तत्काल जरूरत थी
आदतन उसी वेश भूषा में निकल पडा
घर से निकलते वक्त मना किया पत्नी और बिटिया ने भी
नहीं मन १२बजे तक वापस आजाऊंगा
कहते कहते निकल पड़ा "माँ इन्हें आख़िरी बार देख ले "
नाराज बिटिया के मुंह से भगवान ने कहा ...किन्तु ...
घन घोर पानी बरस रहा था ,कुछ्सूझ नहीं रहा था
मै चले जा रहा था बस अनुमान से ...
धरसीवाँ पार हो रहा था कीएक गिट्टी से भरी ट्रक
चढ़ गई मेरी कार पर,मेरे मुंह से सिर्फ इतना निकला
अब तो कुछ नहीं हो सकता चलो मर कर भी देंखे ...
एक भयानक आवाज के साथ सब कुछ शांत
होशआया तो रायपुर मेडिकल कालेज में था
दोस्तों की कृपा थी चिकित्सक चेक कर रहे थे
उम्र पूछी,58 ,घूर कर देखा ,.क्यों क्या हुआ? मै घबरा कर पूछा
यह दुर्घटना वैसे ही आमने सामने हुई है? -हाँ /
और कार ?माचिस के डिब्बे की तरह पिचक गई /दोस्तों ने बताया
तो इनका हार्ट क्यों नहीं फेल हुआ?डाक्टर परेशान था /
मुझे जोर से हंसी आई ,लग भाग ठ्ठाते हुए मैंने कहा ...
हार्ट होगा तब न फेल होगा अपनों की कृपा है
इतने छेड़ किये हैं की हवा ही नहीं रुकती
फेल कहाँ से होगा /क्षण भर के लिए सारी मायूसी ख़तम हो गई .
डाक्टर बोले आप की जिन्दादिली ने आप को बचा लिया
उस दिन मजाक में कही बात आज याद आती है
मुझे किसी ने न तो कभी माफ़ किया न बक्सा
जब जिसे मौका मिला एक छेदा बना दिया
आत्मा तक छलनी हो गई है
पीड़ा की पराकाष्ठा दर्द को समाप्त कार देती है
मै स्थिति प्रज्ञ हो गया हूँ ,किसी मजबूर नगर बधू की तर्ज पर
थिगडा थिगडा जिन्दगी को जोड़ कर एक सुजनी बनाई है ,
उसका कबर फाड़ कर देखोगे ?कुछ भी सबूत नहीं है ,चिथड़ा है सब
अच्छा बनाने की कोशिस में सारी अच्छाई धरी रह गई
अच्छा बनाना शेष रह गया /पर विचार है की हर मानने को तैयार नहीं /


.. .

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