Friday 10 February 2012

अमीर खुसरो 5

अमीर खुसरो भारतीय साहित्य ही नहीं भारतीय समाज की भी धरोहर हैं .,उन्होंने हमारी गंगाजमुनी समृद्ध संस्कृति की तहजीब को भाषा का मुहाबरा दिया /वे जन नायक थे /उन्हें घर घर में पहचाना जाता था /घर घर उनकी स्वीकृति थी /सम्मान था आज तक कोई इतना स्वीकृत नहीं हुआ ,एक दिन खुसरो किसी गाँव से गुजर रहे थे उन्हें प्यास लगी थी पनघट पर औरतों को पानी भरता देख कर वे उसी और मुड गए /पानी हरिनियाँ उन्हें पहचान गईं /सबने उन्हें खूब तंग किया /ठिठोली की /कोई बोले चलनी पर कविता कहो कोई मौनी पर, कोई दौरी पर,कोई खांची , कोई जांता, कोई चक्की,कोई कुत्ता, कोई आंटा कोइ खीर कोई चरखा सब की अलग अलग फरमाइस खुसरो ने सभी को एक में लपेट दिया पानी पिया चलते बने ..इसी को मुकरी कहते हैं मुकरियों और पहेलियों में अंतर है /
*मुकरी
१-खीर पकाई, जतन से ,चरखा दिया चलाय आया कुत्ता खा गया तू बैठा ढोल बजे
२-दौरी थी पिय मिलन को खांची मन में रेख,
अब मौनी क्यों हो गयी चल नीके कै देख
मैंनेअपनी पुस्तक 'काल कलौती' में लिखा था
पनघट पर पनिहारिनी मटकें फंस जाय कोई खुसरो
लिखदे कुछ कुछ नै मुकरियां कास दे कोई फिकरो /
उपरोक्त नंबर दो फिक्र है /नंबर एक मुकरी
*पहेली
बिरह का मारा गया चमन में इश्क छाना है स्याह बरन में
जोर गुलों के सहता है पर बोले बिन नहीं रहता है (भँवरा )
आग लगे फुनग सों और जल गई वाकी जड़
एक बिरवा निख बोलता सो बूझान हरा नर (हुक्का )
मेरा ख्याल है की आज के लिए बस करें कल फिर...क्रमशः

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