Tuesday 7 February 2012

आज अमीर खुसरो की मुकरियां

आज अमीर खुसरो की मुकरियां ;
देवनागरी में लिखना शुरू करने वाला पहला फकीर
इस भाषा को उस ज़माने में /आज भी हिन्दवी नाम से पुकारते है
खुसरो हैदराबाद चले गए थे वंही लिखते थे
इस लिए आज लोग इसे दक्खिनी के नाम से पुकारते हैं
१)गुप्त घाव तन में लगे और जिया रहत बेचैन
ओखत (औषधि )खाय दुःख बढे सो करो सखी कुछ बैन
२)दिल का तो दुम्बल(फोड़ा)भया और नैनं का नासूर
जो ओखत से दुःख कटे तो मै भी करूं जरूर (दोनों का उत्तर -इश्क (प्रेम )
३)अपने समय में इक नार आय
तुक देखे और फिर छुप जाय
बूझ के उठियो कसम है तुम पर
आग बिना उजियारा दुम पर (जुगुनू )
४)फूल तो वा का ओखद सहाय
फल सब जग के कम में आय
उजड़ी खेती जावे नास
जब देखो जब पास का पास (कपास)
५)ठौर नीर पर होत है और भीतर के जल जाय
हांथी घोडा ऊंट शलीता वाही के बल जांय (पुल )
यह है हिंदी का प्रारंभिक रूप जो अमीर खुसरो ने शुरू किया .हिट होगया था आप को कैसा लगा जरूर लिखिए ....मेरा मन सीरीज में लिखने का है

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