Monday 6 February 2012

इसके किस्से ,सपने मेरे अपने हैं

आज कई दिनों बाद लौटा हूँ घर
मेरा घर लौट आया है मुझमे
यह घर जो मेरा है ,जो मेरा नहीं है
इसकी दीवारों पर लिखी हर इबारत मेरी है
इसके आगन की हर कहानी मेरी है ,
हर किस्सा मेरा है ,
रोशन दानो से झांकते हर सपने मेरे हैं
फिर भी घर मेरा नहीं है /
मेरा घर मुझसे लिपट कर बताता है
अपनी बदहाली के किस्से ,
समझाने की कोशिस करता है की
कैसे कैसे उलझनों में उलझ गया है
इन दिनों , मेरा घर परेशान है
वह बताता है कैसे कोई चुपके से कुतर गया है
रिश्तों की दीवारों को , दरारें सुनाती हैं
षड्यंत्रों की फुसफुसाहट ,बदहाल है मेरा घर
वह ढूंढता है मेरी आँखों में सहानुभूति अपने लिए ,
कहना चाहता है कुछ, बहुत कुछ ,
हार कर बैठो मत ,लड़ना है
अपने हिस्से का महाभारत ,
अभी भी बहुत कुछ बचा है बचाने को
इस दौर में भी /मेरा घर परेशान है
घर जो मेरा है ,जो मेरा नहीं है परन्तु
इसके किस्से ,सपने मेरे अपने हैं /

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