Friday, 21 December 2012

मेरे गावं में एक लड़की थी

मेरे गावं में एक लड़की थी कजरी उसका नाम था
हर बुजुर्ग की वह प्यारी थी हर कोई यजमान था /

रंग सांवला रूप सलोना खंजन नयन रूप रस माता
कुंदन कंचन दमके यौवन हर भंवरा उस पर मंडराता

नाक नयन उसके तीखे थे भवहें तीर कमान थीं
नागिन सी बेनी थी उसकी हिरनी जैसी चाल थी /

गली गली फुदके खंजन सी गुन गुन गीत सुनातीथी
शहद घोलती बातें करती मोहक सी मुस्कान थी /

ऋतुओं के संग राग मिला कर जीना उसको भाता था
हर आभाव में खुश रहने का मन्त्र उसे भी आता था /

खेत , मेड़, चौपाल ,बगीचे ,उसके संग संग गाते थे
कोयल ,मोर, पपीहा तोता उसे देख शरमाते थे /

बाग बगीचे झूम झूम कर उसके गीत सुनते थे
उसकी एक झलक पा कर के संगवारी मुस्काते थे /

गली गली उसकी चर्चा थी हर कोई हैरान था
वह थी कली अछूती लेकिन हर भंवरा बदनाम था /

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