.
हनुमानजी की पूजा के दौरान इस मंत्र को
पढ़ते हुए उनसे क्षमा-प्रार्थना करना
चाहिए-
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे||
.
हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते
हुए सुवर्णपुष्प समर्पण करना चाहिए-
वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम्|
पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न समुज्जलम् |
हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते
हुए उन्हें ऋतुफल समर्पण करना चाहिए-
फ़लं नानाविधं स्वादु पक्वं शुद्धं
सुशोभितम् |
समर्पितं मया देव गृह्यतां कपितं॥
इस मंत्र को पढ़ते हुए पवनपुत्र हनुमानजी
को सिन्दूर समर्पण करना चाहिए-
दिव्यनागसमुद्भु तं सर्वमंगलारकम् |
तैलाभ्यंगयिष्या मि सिन्दूरं गृह्यतांप्रभो ||
अंजनीपुत्र हनुमान की पूजा करते समय
इस मंत्र के द्वारा उन्हें पुष्पमाला समर्पण
करना चाहिए-
नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारैः कमलैरपि|
कुमुदैः पुण्डरीकैस्त्वा ं पूजयामि कपीश्वर |
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हनुमानजी की पूजा के दौरान इस मंत्र को
पढ़ते हुए उनसे क्षमा-प्रार्थना करना
चाहिए-
मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं कपीश्वर |
यत्पूजितं मया देव! परिपूर्ण तदस्तु मे||
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हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते
हुए सुवर्णपुष्प समर्पण करना चाहिए-
वायुपुत्र ! नमस्तुभ्यं पुष्पं सौवर्णकं प्रियम्|
पूजयिष्यामि ते मूर्ध्नि नवरत्न समुज्जलम् |
हनुमानजी की पूजा में इस मंत्र को पढ़ते
हुए उन्हें ऋतुफल समर्पण करना चाहिए-
फ़लं नानाविधं स्वादु पक्वं शुद्धं
सुशोभितम् |
समर्पितं मया देव गृह्यतां कपितं॥
इस मंत्र को पढ़ते हुए पवनपुत्र हनुमानजी
को सिन्दूर समर्पण करना चाहिए-
दिव्यनागसमुद्भु तं सर्वमंगलारकम् |
तैलाभ्यंगयिष्या मि सिन्दूरं गृह्यतांप्रभो ||
अंजनीपुत्र हनुमान की पूजा करते समय
इस मंत्र के द्वारा उन्हें पुष्पमाला समर्पण
करना चाहिए-
नीलोत्पलैः कोकनदैः कह्लारैः कमलैरपि|
कुमुदैः पुण्डरीकैस्त्वा ं पूजयामि कपीश्वर |
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