Sunday 23 December 2012

बस्तर, सपनों सा सुन्दर,

बस्तर, सपनों सा सुन्दर, भोले आदिवासी जो मौन रहते हैं, काली पहाड़ी मैना जो बोलती है.. आदिवासी विकास के नाम पर जितना धन बस्तर को मिला, सीधे देते तो हर आदिवासी अमीर होता,बेंक में जमा करते तो व्याज में जीवन भर खाता, बच्चो को शिक्षित कर लेता.
राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना को बचाने मैं काफी खर्च हुआ,पर वो भाग्यशाली को ही दिखती है..सुन्दर आकाशनगर, बहते झरने, साल के हरे भरे वन, एक सप्ताह भी कम है, कुटुम्बसर की गुफा,चित्रकोट, हस्तशिल्प देखने मैं, सल्फी तो गोवा की फेनी को मात करती है..हाट- बाज़ार की खरीदी.. सब कुछ तो है बस्तर में, बस ये कोई कहने वाला नहीं ....,कि क्या रखा है घर मैं.. ? अरे कुछ दिन तो बड़े दिन की छुट्टियाँ गुजारो बस्तर में..

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