हम क्या होते जा रहे हैं ...
इंसानियत रही नही ..पूंछ बिना जानवर से भी बदतर .हैं हम .
जानवर कभी बलात्कार नही करता .वह सीजन मे संभोग करता है एक बार करता है .एक मादा से एक बार एक सीजस्न मे एक ही करता है .लेकिन आदमी जानवर से भीघटिया सामूहिक बलात्कार वह भी बस मे .सड़क मे रेल मे .छिह घिन आती है ऐसे आदमियों को देख कर आदमी कहलाने पर ..आख़िर ये हराम जाड़े भी किसी के पिता भाई पति होंगे .अगर पूरा परिवार हरा
इंसानियत रही नही ..पूंछ बिना जानवर से भी बदतर .हैं हम .
जानवर कभी बलात्कार नही करता .वह सीजन मे संभोग करता है एक बार करता है .एक मादा से एक बार एक सीजस्न मे एक ही करता है .लेकिन आदमी जानवर से भीघटिया सामूहिक बलात्कार वह भी बस मे .सड़क मे रेल मे .छिह घिन आती है ऐसे आदमियों को देख कर आदमी कहलाने पर ..आख़िर ये हराम जाड़े भी किसी के पिता भाई पति होंगे .अगर पूरा परिवार हरा
मी नही
है तो उन्हे ही ऐसे बाप को /ऐसे पति को /ऐसे पिता को /ऐसे भाई को ..जूते
मार मार कर क़ानून के हवाले करना चाहिए .उस नेता को चाहिए ,,जिसके विधान
सभा मे हैं की इन्हे पुलिस के हवाले करे ..असल बात तो यह है की सभी मिल कर
बचाते हैं ...यही अपराध को बढ़ावा देता है ...इस के लिए कोई साधु /कोई एन
जी ओ /कोई सामाजिक कार्यकर्ता ..क्यों नही हड़ताल कर रहा हैं ..कहाँ हैं
....केजरी /हज़ारे /रामदेव /..वेलेंटाइन दे पर शोर मचा कर हिंदुत्व के
रक्षक जैसी नौटंकी करते हैं .क्यों नही ऐसे प्रसंगों मे आगे आते ./सब को
आगे आना चाहिए .बंद होना चाहिए यह अराजक आचार्न
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