Tuesday 18 December 2012

यह ढलने वाला

आग हुई चूल्हे की ठंडी अदहन नहीं उबलने वाला

हर दिन उल्कापिंड गिरते आसमान से हम क्या पाते

आंधी वाली सुबहे आती चक्रवात खपरैल उड़ाते

इस सूरज से कुछ मत मांगो शाम हुई यह ढलने वाला

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