Saturday 5 November 2011

भारतीय आख्यान; परम्परा और आधुनिक गल्प साहित्य वैदिक वांग्मय से लेकर जैन बौद्ध ग्रंथो से होते हुए सूफी साहित्य तक हमारी आख्यान परम्परा फैली हुई है /आधुनिक भारतीय भाषाओँ में भी अनेक उत्कृष्ट रचनाये है /मराठी उपन्यास ययाति को आख्यान परंपरा का नवीन संस्करण कह सकते हैं /इंडियन नेरोटलोगी नमक पुस्तक में हमारी कथन प्रक्रिया को शास्य्र मन गया है /हमें भी चाहिए की उसे शास्त्र का दर्जा दे कर विषद अध्यन करें /प्राचीन और अर्वाचीन आख्यानात्मकता जिसे अंग्रजी में नारेटीविटी कहते हैं के दस रूपों और दस माँडलों के उदाहरण आधुनिक भारतीय भाषाओँ में विशेष कर बंगला के मंगल काव्य मराठी के लीलाचारित पंजाबी और सिन्धी की किस्सायेंऔर हिंदी के बीरगाथा काव्य में उपलब्ध हैं /ये सभी हमारी आख्यान परम्परा की कड़ियाँ हैं /प्राचीन इतिहास,संस्कृत साहित्य अभिनय कला नृत्य नाट्यकला में आख्यान भरे पड़े हैं / क्रमशः

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