Wednesday 30 November 2011

महाभारत काल में है हम

भारतीय समाज के नियंता महाभारत काल में पहुँच गए है जहाँ सबके सब आधे- अधूरे , पाखंडी ,अपनी .अपनी कुंठा में गले तक डूबे भीतर से घाघ ,बुनावट से कांईयां
सत्ता लोलुप, सोच से बीमार हैं /इनका कमान प्रोग्राम है /अपने दंभ में अंधे इनको देश कंही दिखता ही नहीं,हमने चमगादड़ को देखा हैउलता लटके उसी मुंह से खाते उसी मुंह से उगलते ,हने सियार को रंग बदलते देखा है ,पर बात बदलने और चरित्र की ब्याख्या करने में हमारे नियंता सभी को मत दे रहे है /सत्याव्तार हजारे ,रामदेव और बिपक्ष तीनो ने रंग बदलने का मुहाबरा छोटा कर दिया ,थोड़े से पांडव एक दो कृष्ण नहीं पूरी
दुनिया मिलकर /कुछ नहीं कर सकते ,देश को हलाल कर दिया ,अब तो भगवन ही मालिक है हजारे खुद को उनसे भी बड़ा कहेगा तीन बडबोले नाटक के साथ
· · 

    • Saroj Mishra मर्यादा टूट रही है /रक्तरंजित शांति बड़ी भयावह होगी कल्पना से सिहरन होती है षड्यंत्र बड़ा है ,सत्ता के लिए अबकुछ भी करेंगे , अभी भी समय है लोग उद्दिग्न न होकर ,सत्तालोलुप लोंगों की चालाकी समझे ,शांति से रहें ,अराजकता फ़ैलाने वालों को तिरस्कृत करें अपना काम करें दिन बड़े भयावह दिख रहे हैं

No comments:

Post a Comment