Wednesday 16 November 2011

हिंदी की जगह अंग्रजी का फैलाव एवं  प्रसार प्रचार का तर्क शाश्त्र
 इस बहंस की जड़ आज की राजनीति या समय में ही नहीं आज की जरूरत में भी है अंग्रेजी कुछ वर्षों में बहुत तेजी से फैली  है /
कुछ राज्यों ने इसे प्राथमिक स्तर पर अनिवार्य भी कर दिया है / यह सब उदारी करन की नीति का परिणाम है /पश्चिम का मॉल
,पश्चिम की पूँजी,पश्चिम की संस्कृति जब देश में आयेगी तो पश्चिम की भाषा भी आएगी/अंग्रेजी  बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की जरुरत है  /यह ग्लोबलाईजेसन की भाषा है , इसी से देश की नई पीढ़ी में आधुनिकता आ रही है ,भारत जैसे विशाल देश में उन्हें अपना मॉल बेंचना है
तो नई पीढ़ी को अंग्रेजियत के रंग में  रंगना उनकी जरूरत है  और वे ऐसा कर रहे हैं /हमारी सर्कार ही नहीं हम सब उनके आगे नतमस्तक हैं /कालमार्क्स  ने कहा था  जो वर्ग समाज का सत्ताधारी भोतिक शक्ति होता है वही उसकी बौद्धिक शक्ति भी होता है /ब्यवस्था के हाथ में ही सरे संसाधन होते है मिडिया पर भी उसी का नियंत्रण होता है /वह हमारी रुचियाँ तक बदल देता है /आज अंग्रेजी पढने से नौकरी मिलती है
 भारतीय भाषाएँ पढने से नौकरी मिलने लगे तो लोग उसी की मांग करने लगेंगे /गाँधी जी ने कहा था क़ि...अगर मेरे हांथों में ताना सही सत्ता हो तो मैआज से ही विदेशी भाषा में दी जाने वाली शिक्षा बंद कर दूं /मै पाठ्य पुस्तकों क़ी तयारी का इंतजार नहीं करूंगा वे तो माध्यम के पीछे चलीं आएँगी /इस बुरे का तुरंत इलाज होना चाहिए.../अंग्रजी शोषक -शासक वर्ग तथा ब्यूरोक्रेट्स क़ी भाषा है ,भारतीय भाष्य जन भाषा हैं/आम जनता को हक तभी मिलेगा जबुसकी भाषा में प्तियोगी परीक्षा आयोजित होंगी /

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