Wednesday 9 November 2011

जब तक हिंदी को शिक्षा रोजगार प्रोद्योगिकी विज्ञानं मीडिया समाजविज्ञान वाणिज्य व्यवसाय और तकनीकी शिक्षा से नहीं जोड़ेंगे ,उसे व्यवहार और काम काज की भाषा नहीं बनायेंगे ,तब तक हिन्दी वह स्थान नहीं पासकती जिसकी वह हकदार है /हिन्दी का प्रयोजन मूलक बनाना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है /आज का युवक कैरियर निर्माण के प्रति अधिक सजग है इसीलिए वह कम्पूटर और अंग्रेज़ी के पीछे भाग रहा है /अतः अब हिन्दी में ईमेल इन्टरनेट वेव साईट और पोर्टल का अधिकाधिक विकास और उपयोग होना चाहिए युवाओं की उदासीनता दूर करने के लिए सोचें की हम अपने विषयों को कैसे जादा अर्थपूर्ण प्रयोजनमूलक और रोजगारोन्मुखी बना सकते हैं इससे विद्यार्थियों में नया आत्मविश्वास जागेगा आज पत्रकारिता मिशन न होकर व्यवसाय और प्रतिस्पर्धा हो गयी है /आज तकनीक बहुत बिकसित हो गयी है अतः अब पुराने तरीके से काम नहीं चलेगा /पत्रकारिता बोद्धिक माफिया बनगई है /सारा ध्यान मुनाफे पर है , आतः सनसनीखेज हो गयी है ,विश्वसनीयता घटी है ,किसी भी विधा का एस तरह संदिग्ध हो जाना खतरनाक है /

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