Sunday 20 November 2011

मै अपने गाँव लौटूंगा

मै अपने गाँव लौटूंगा
अपनी पुस्तैनी देहरी पर माथा झुकाऊ गा
नन्ही बिटिया को देहरी का मर्म और देहरी लांघने का अर्थ समझाऊंगा
तुलसी के चौरे पर रोज संध्या संझौती  लेसे गी मेरी पुत्र बधू
टिमटिमाते देये की लव माँ अँधेरे की शास्वत सत्ता को पिघलते मै जी भर के देखूँगा  

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